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________________ नाणाइ अ दूसिंतो तब्विवरीअं तु उद्दिसइ मग्गं / उम्मग्गदेसओ एस होइ अहिओ अ सपरेसिं // 1656 // णाणाइ तिविहमग्गं दूसइ जो जे अमग्गपडिवण्णे / अबुहो जाईए खलु भण्णइ सो मग्गदूसो त्ति // 1657 // जो पुण तमेव मग्गं दूसिउं पंडिओ सतक्काए। उम्मग्गं पडिवज्जइ विप्पडिवन्ने स मग्गस्स // 1658 // तह तह उवहयमइओ मुज्झइ णाणचरणंतरालेसुं। इड्डीओ अ बहुविहा दट्टुं जत्तो तओ मोहो // 1659 // जो पुण मोहेइ परं सब्भावेणं च कइअवेणं वा / समयंतरम्मि सो पुण मोहित्ता घेप्पइ सऽणेणं // 1660 // एयाओ भावणाओ भावित्ता देवदुग्गइं जंति / . तत्तो वि चुआ संता परिति भवसागरमणंतं // 1661 // एयाओ विसेसेणं परिहरई चरणविग्घभूआओ। एअनिरोहाओ च्चिअ सम्मं चरणं पि पावेइ // 1662 / / आह ण चरणविरुद्धा एआओ एत्थ चेव जं भणिअं। जो संजओ वि भइओ चरणविहीणो अ इच्चाई // 1663 // ववहारणया चरणं एआसुं जं असंकिलिट्ठो वि। कोई कंदप्पाई सेवई ण उ णिच्छयणएणं // 1664 // अक्खंडं गुणठाणं इ8 एअस्स णियमओ चेव। संइ उचियपवित्तीए सुत्ते वि जओ इमं भणियं // 1665 / / जो जहवायं न कुणइ मिच्छद्दिट्ठी तओ हु को अण्णो ? / वड्डे:अ मिच्छत्तं परस्स संकं जणेमाणो // 1666 // कंदप्पाईवाओ न चेह चरणम्मि सुव्वइ कहंचि (हिंवि)। ता एअसेवणं पि हु तव्वायविराहगं चेव // 1667 // 139
SR No.004452
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages310
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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