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________________ // 1540 // पडिवज्जमाण भइया इक्को वि हु होज ऊणपक्खेवे / पुव्वपडिवन्नया वि हु भइआ एगो पुहुत्तं वा // 1536 / / एअं खलु णाणत्तं एत्थं परिहारिआण जिणकप्पा। अहलंदिआण एत्तो णाणत्तमिणं पवक्खामि // 1537 // लंदं तु होइ कालो सो पुण उक्कोस मज्झिम जहण्णो। उदउल्ल करो जाविह सुक्कइ ता होइ उ जहण्णो // 1538 // उक्कोस पुव्वकोडी मज्झे पुण होंति णेगठाणा उ। एत्थ पुण पंचरत्तं उक्कोसं हो अहालंद // 1539 // जम्हा उ पंचरत्तं चरंति तम्हा उ हुंतऽहालंदी। पंचेव होइ गच्छो तेसिं उक्कोसपरिमाणं जा चेव य जिणकप्पे मेरा सच्चेव लंदिआणं पि।। णाणत्तं पुण सुत्ते भिक्खाचरि मासकप्पे अ // 1541 / / पडिबद्धा इअरे वि अ एक्किक्का ते जिणा य थेरा य / अत्थस्स उ देसम्मी असमत्ते तेसि पडिबंधो // 1542 // लग्गादिसुत्तरंते तो पडिवज्जित्तु खित्तबाहि ठिआ / गिण्हंति जं अगहिअं तत्थ य गंतूण आयरिओ // 1543 / / तेसिं तयं पयच्छइ खित्तं एन्ताण तेसिमे दोसा। वंदंतमवंदंते लोगम्मी होइ परिवाओ . // 1544 / / ण तरिज्ज जई गंतुं आयरिओ ताहे एइ सो चेव। अंतरपल्लीपडिवसभगामबहि अण्णवसही वा // 1545 // तीए अ अपरिभोए ते वंदंती ण वंदई सो उ। तं घित्तुमपडिबंधा ताएँ जहिच्छाएँ विहरंति // 1546 // जिणकप्पिआ व तहिअं किंचि तिगिच्छं तु ते उ न करिति / णिप्पडिकम्मसरीरा अवि अच्छिमलं पि णऽवणिति // 1547 // . 120
SR No.004452
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages310
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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