________________ तव भावणणाणत्तं करिति आयंबिलेण परिकम्मं / / इत्तिरिअ थेरकप्पे जिणकप्पे आवकहिआ उ . // 1524 // पुण्णे जिणकप्पं वा अइंती तं चेव वा पुणो कप्पं / गच्छं वा यंति पुणो तिण्णि वि ठाणासिमविरुद्धा // 1525 // इत्तिरिआणुवसग्गा आयंका वेयणा य ण भवंति। आवकहिआण भइआ तहेव छग्गामभागा उ // 1526 // . खित्ते कालचरित्ते तित्थे परिआगमागमे वेए। कप्पे लिंगे लेसा झाणे गणणा अभिग्गह्म य // 1527 // पव्वावण मुंडावण मणसाऽऽवण्णे वि से अणुग्घाया। कारणणिप्पडिकम्मा भत्तं पंथो अ तइआए // 1528 // खित्ते भरहेरवए होंति साहरणवज्जिआ णिअमा। एत्तो च्चिअ विण्णे जमित्थ काले कि णाणत्तं // 1529 // तुल्ला जहण्णठाणा संजमठाणाण पढमबिइआणं / तत्तो असंखलोए गंतुं परिहारिअट्ठाणा // 1530 // ताणवि असंखलोगा अविरुद्धा चेव पढमबीआणं / उवरि पि तओ संखा संजमठाणा उदोण्हं पि // 1531 // सट्ठाणे पडिवत्ती अण्णेसु वि होज्ज पुव्वपडिवनो। ' तेसु वि वढ्तो सो तीअणयं पप्प वुच्चइ उ // 1532 / / ठिअकप्पम्मी णिअमा एमेव य होइ दुविहलिंगे वि। लेसा झाणा दोण्णि वि हवंति जिणकप्पतुल्ला उ // 1533 // . गणओ तिण्णेव गणा जहण्णपडिवत्ति सयसमुक्कोसा। उक्कोसजहण्णेणं सयसो च्चिअ पुव्वपडिवण्णा // 1534 // सत्तावीस जहण्णा सहस्स उक्कोसओ अ पडिवत्ती। .. सयसो सहस्ससो वा पडिवण्ण जहण्ण उक्कोसा . // 1535 / / 128