________________ थेराणं णाणत्तं अतरंते अप्पिणंति गच्छस्स। . ते वि अ से फासुएणं करिति सव्वं तु परिकम्मं // 1548 // एक्किक्कपडिग्गहगा सप्पाउरणा हवंति थेरा उ। जे पुणऽमी जिणकप्पे भय तेसिं वत्थपायाई // 1549 // गणमाणओ जहण्णा तिण्णि गणा सयग्गसो अ उक्कोसा / पुरिसपमाणं पण्णरस सहस्ससो चेव उक्कोसो // 1550 // पडिवज्जमाणगा वा एक्कादि हविज्ज ऊणपक्खेवे। होति जहण्णा एए सयग्गसो चेव उक्कोसा // 1551 // . पुव्वपडिवनगाण वि उक्कोस जहण्णओ परीमाणं। कोडिपुहत्तं भणिअं होइ अहालंदिआणं तु // 1552 // कयमित्थ पसंगेणं एसो अब्भुज्जओ इह विहारो। संलेहणासमो खलु सुविसुद्धो होइ णायव्वो // 1553 // पाएण चरमकाले जमेस भणिओ सयाणमणवज्जो। भयणाए अण्णया पुण गुरुकज्जाईहिं पडिबद्धा // 1554 / / केई भणंति एसो गुरुसंजमजोग पहाणो त्ति। . थेरविहाराओ वि हु अच्वंतं अप्पमायाओ // 1555 // . अण्णे परत्थविरहा नेवं एसो अ इह पहाणो त्ति / / एअस्स वि तदभावे पडिवत्तिणिसेहओ चेव // 1556 // अब्भुज्जयमेगयरं पडिवज्जिउकामो सो वि पव्वावे। गणिगुणसलद्धिओ खलु एमेव अलद्धिजुत्तो वि // 1557 // एव पहाणो एसो एगंतेणेव आगमा सिद्धो। जुत्तीए वि अ नेओ सपरुवगारो महं जम्हा // 1558 // ण य एत्तो उवगारो अग्णो णिव्वाणसाहणं परमं / जं चरणं साहिज्जइ कस्सइ सुहभावजोएण // 1559 // 130