________________ भिक्खायरिआ पाणय लेवालेवे अ तह अलेवे अ। आयंबिलपडिमाई जिणकप्पे मासकप्पे उ . // 1428 // आयारवत्थु तइयं जहण्णय होइ नवमपुव्वस्स। तहियं कालण्णाणं दस उक्कोसेण भिण्णाई // 1429 // पढमिल्लुयसंघयणा धिईएँ पुण वज्जकुड्डसामाणा। पडिवजंति इमं खलु कप्पं सेसा ण उ कयाइ // 1430 // . दिव्वाई उवसग्गा भइआ एअस्स जइ पुण हवंति। तो अव्वहिओ विसहइ णिच्चलचित्तो महासत्तो // 1431 / / आयंको जरमाई सो वि हु भइओ इमस्स जइ होइ। .. णिप्पडिकम्मसरीरो अहिआसइ तं पि एमेव // 1432 // अब्भुवगमिआ उवक्कमा य तस्स वेअणा भवे दुविहा। धुवलोआई पढमा जराविवागाइआ बीआ // 1433 / / एगो अ एस भयवं णिरवेक्खे सव्वहेव सव्वत्थ / भावेण होइ निअमा वसहीओ दवओ भइओ. // 1434 // उच्चारे पासवणे उस्सग्गं कुणइ थंडिले पढमे / तत्थेव य परिजुण्णे कयकिच्चो उज्झई वत्थे // 1435 / / अममत्ताऽपरिकम्मा दारबिलब्भंगजोगपरिहीणा। जिणवसही थेराण वि मोत्तूण पमज्जणमकज्जे // 1436 // केच्चिरकालं वसहिह एवं पुच्छंति जायणासमए / जत्थ गिही सा वसही ण होइ एअस्स णिअमेण // 1437 // नो उच्चारो एत्थं आयरिअव्वो कयाइदवि जत्थ / एवं भणंति सा वि हु पडिट्ठा चेव एअस्स // 1438 // पासवणं पि अ एत्थं इमम्मि देसम्मि ण उण अन्नत्थ। . कायव्वं ति भणती हु जाए एसा वि णो जोग्गा // 1439 // 120