________________ ओवासो वि हु एत्थं एसो तुझं ति न पुण एसो त्ति / ईअ वि भणंति जहिअं सा वि ण सुद्धा इमस्स भवे // 1440 // एवं तणफलगेसु अ जत्थ विआरो तु होइ निअमेणं / एसा वि हु दट्ठव्वा इमस्स एवंविहा चेव // 1441 / / सारक्खण त्ति तत्थेव किंचि वत्थुमहिगिच्च गोणाई। जाए तस्सारक्खणमाह गिही सा वि हु अजोगा // 1442 // संठवणा सक्कारो पडमाणीए णुवेहमो भंते ! / कायव्वं ति अ जीए वि भणइ गिही सा वऽजोग्ग त्ति // 1443 // अण्णं वा अभिओगं चसद्दसंसूइअं जहिं कुणइ / दाया चित्तसरूवं जोगा णेसा वि एअस्स // 1444 // पाहुडिआ जीए बली कज्जइ ओसक्कणाइअं तत्थ / . विक्खिरिअ ठाण सउणाअग्गहणे अंतरायं च // 1445 // अग्गि त्ति साऽगिणी जा पमज्जणे रेणुमाइवाघाओ। अपमज्जणे अकिरिआ जोईफुसणम्मि अ विभासा // 1446 // दीव त्ति सदीवा जा तीऍ विसेसो उ होइ जोइम्मि। एत्तो च्चिअ इह भेओ सेसा पुव्वोइआ दोसा // 1447 / / ओहाणं अम्हाण वि गेहस्सुवओगदायगो तंसि / / होहिसि भणंति ठंते जीए एसां वि से ण भवे // 1448 / / तह कइ जण त्ति तुम्हे वसहिह एत्थं ति एवमवि जीए। भणइ गिहीऽणुण्णाए परिहरए णवरमेअंपि // 1449 // सुहुममवि हु अचिअत्तं परिहरए सो परस्स निअमेणं / / / जं तेण तुसद्दाओ वज्जइ अण्णं पि तज्जणणीं // 1450 // भिक्खाअरिआ णियमा तइआए एसणा अभिग्गहिआ। एअस्स पुव्वभणिआ एक्काविअ होइ भत्तस्स // 1451 // 121