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________________ ता एवं सण्णाओ ण बुहेणऽट्ठाणठावणाए उ। सइ लहुओ कायव्वो चासप्पंचासणाएणं // 1296 // तह वेए च्चिअ भणिअं सामण्णेणं जहा ण हिसिज्जा। भूआणि फलुद्देसा पुणो अ हिंसिज्ज तत्थेव // 1297 // ता तस्स पमाणत्ते वि एत्थ णिअमेण होइ दोसो ति / फलसिद्धीऍ वि सामण्णदोसविणिवारणाभावा // 1298 // जह विज्जगम्मि दाहं ओहेण निसेहिउं पुणो भणिअं। गंडाइखयनिमित्तं करिज्ज विहिणा तयं चेव // 1299 / / तत्तो वि कीरमाणे ओहणिसेहुब्भवो तहिं दोसो। जायइ फलसिद्धीअ वि एअं इत्थं पि विण्णेअं // 1300 // कयमित्थ पसंगेणं जहोचिआवेव दव्वभावथया / अण्णोऽण्णसमणुविद्धा निअमेणं होंति नायव्वा // 1301 // अप्पविरिअस्स पढमो सहकारिविसेसभूअमो सेओ। इअरस्स बज्झचाया इअसे च्चिअ एस परमत्थो // 1302 // दव्वत्थयं पि काउं ण तरइ जो अप्पवीरिअत्तेणं / परिसुद्धं भावथयं काही सोऽसंभवो एस // 1303 // जं सो उक्किट्ठयरं अविक्खई वीरिअं इहं णिअमा। ण हि पलसयं पि वोढुं असमत्थो पव्वयं वहई // 1304 // जो बज्झच्चाएणं णो इत्तिरिअं पि णिग्गृहं कुणइ / इह अप्षणो सया से सव्वच्चाएण कह कुज्जा? // 1305 // .. आरंभच्चाएणं णाणाइगुणेसु वड्डमाणेसु / दव्वट्ठयहाणी वि हु न होइ दोसाय परिसुद्धा // 1306 // एत्तो च्चिय णिद्दिवो धम्मम्मि चउव्विहम्मि वि कमोऽअं। इह दाणसीलतवभावणामए अण्णहाऽजोगा // 1307 // - 100
SR No.004452
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages310
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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