________________ तअहिगनिव्वत्तीए गुणंतरं णत्थि एत्थ निअमेणं / इअ एअगयां हिंसा सदोसमो होइ णायव्वा // 1272 // उवगाराभावे वि हुँ चिंतामणिजलणचंदणाईणं। विहिसेवगस्स जायइ तेहिंतो सो पसिद्धमिणं // 1273 // इअ कयकिच्चेहितो तब्भावे णत्थि कोइ वि विरोहो / एत्तो च्चिअ ता (ते) पुज्जा का खलु आसायणा तीए ? // 1274 // अहिगणिवित्ती वि इहं भावेणाहिगरणा णिवित्तीओ। तदसणसुहजोगा गुणंतरं तीऍ परिसुद्धं // 1275 / / ता एअगया चेवं हिंसा गुणकारिणि त्ति विन्नेआ। तह भणिअणायओ च्चिय एसा अप्पेह जयणाए // 1276 // तह संभवंतरुवं सव्वं सव्वण्णुवयणओ एअं। . तं णिच्छिअकहिआगमपउत्तगुरुसंपयाएहिं . // 1277 // वेअवयणं तु नेवं अपोरसेअं तु तं मयं जेणं / / इअमच्चंतविरुद्धं वयणं चं अपोरसेअंच - // 1278 // जं वुच्चइ त्ति वयणं पुरिसाभावे अ नेअमेअंति। ता तस्सेवाभावो णिअमेण अपोरसेअत्ते // 1279 // तव्वावारविउत्तं ण य कत्थइ सुव्वईह तं वयणं / सवणे वि अ णासंका अदिस्सकत्तुब्भवाऽवेइ // 1280 // अद्दिस्सकत्तिगं णो अण्णं सुव्वइ कहं णु आसंका ? / सुव्वइ पिसायवयणं कयाइ एअंतु ण सदेव // 1281 / / वण्णायपोरसेअं लोइअवयणाणवीह सव्वेसिं / .. वेअम्मि को विसेसो ? जेण तहिं एसऽसग्गाहो // 1282 // ण य णिच्छओ वि हु तओ जुज्जइ पायं कर्हिचि सण्णाया। जं तस्सऽत्थपगासणविसएह अइंदिया सत्ती // 1283 // 100