________________ // 1260 // // 1261 // // 1262 // // 1263 // // 1264 // // 1265 // सुद्दाण सहस्सेण वि ण बंभवज्ञह घाइएणं ति। .. जह तह अप्पबहुत्तं एत्थ वि गुणदोसचिंताए अप्पा य होति एसा एत्थं जयणाएँ वट्टमाणस्स। जयणा य धम्मसारो विन्नेआ धम्म (सव्व) कज्जेसु जयणेह धम्मजणणी जयणा धम्मस्स पालणी चेव। तव्वुड्किरी जयणा एगंतसुहावहा जयणा जयणाएँ वट्टमाणो जीवो सम्मत्तणाणचरणाणं / सद्धाबोहासेवणभावेणाराहओ भणिओ एसा य होइ नियमा तयहिगदोसविणिवारणी जेण। तेण णिवित्तिपहाणा विनेआ बुद्धिमंतेणं ... सा इह परिणयजलदलविसुद्धरूवाओं होइ विण्णेआ। अत्थव्वओ महंतो सव्वो सो धम्महेउ त्ति एत्तो चिअ निद्दोसं सिप्पाइविहाणमो जिणिंदस्स। लेसेण सदोसं पि हु बहुदोसनिवारणत्तेणं . वरबोहिलाभओ सो सव्वुत्तमपुण्णसंजुओ भयवं / एगंतपरहिअरओ विसुद्धजोगो महासत्तो उधणागा महासत्ता जं बहुगुणं पयाणं तं णाऊणं तहेव देसेइ। ते रक्खंतस्स तओ जहोचिअं कह भवे दोसो ? तत्थ पहाणो अंसो बहुदोसनिवारणेह जगगुरुणो। नागाइरक्खणे जह कड्डणदोसे वि सुहजोगो एव णिवित्तिपहाणा विण्णेआ तत्तओ अहिंसेअं। जयणावओ व (उ) विहिणा पूआइगया वि एमेव सिअ पूआउवगारो ण होइ इह कोइ पूयणिज्जाणं / कयकिच्चत्तणओ तह जायइ आसायणा चेवं / 106 // 1266 // // 1267 // // 1268 // // 1269 // // 1270 // / // 1271 //