________________ // 1248 // // 1249 // // 1250 // // 1251 // // 1252 // // 1253 // सइ सव्वत्थाभावे जिणाण भावावयाएँ जीवाणं / तेसि णित्थरणगुणं णिअमेणिह ता तदायतणं तबिंबस्स पइट्ठा साहुनिवासो अ देसणाईआ। एक्किक्कं भावावयणित्थरणगुणं तु भव्वाणं पीडागरी वि एवं इत्थं पुढवाइहिंस जुत्ता उ। अण्णेसिं गुणसाहणजोगाओ दीसइ इहेव आरंभवओ य इमा आरंभंतरणिवत्तिआ पायं। एवं पि हु अणिआणा इट्ठा एसा वि मोक्खफला ता एईएँ अहम्मो णो इह जुत्तं पि विज्जणायमिणं / हंदि गुणंतरभावा इहरा विज्जस्स वि अधम्मो ण य वेअगया एवं सम्मं आवयगुणण्णिआ एसा / ण य दिट्ठगुणा तज्जुयतयंतरणिवित्तिआ नेव ण अ फलुद्देसपवित्तिउ इअं मोक्खसाहिगावि त्ति / मोक्खफलं च सुवयणं सैसं अत्थाइवयणसमं अग्गी मा एआओ एणाओ मुंचउ त्ति अ सुई वि। तप्पावफला अंधे तमम्मि इच्चाइ अ सई वि अस्थि जओ ण य एसा अण्णत्था तीरई इहं भणिअं। अविणिच्छया ण एवं इह सुव्वइ पाववयणं तु परिणामे अ सुहं णो तेसिं इच्छिज्जइ प य सुहं पि / मंदापत्थंकयसमं ता तमुवण्णासमित्तं तु इअ दिखेट्ठविरुद्धं जं वयणं एरिसा पवित्तस्स / मिच्छाइभावतुल्लो सुहभावो हंदि विण्णेओ एगिदिआइभेओऽवित्थं णणु पावभेअहेउ त्ति / इट्ठो तहा वि समए तहं सुद्ददिआइभेएणं . 105 // 1254 // // 1255 / / // 1256 // // 1257 // // 1258 // // 1259 //