________________ करणाइ तिण्णि जोगा मणमाइणि उ भवंति करणाई / आहाराई सन्ना चउ सोत्ताइंदिआ पंच // 1164 / / भोमाई णव जीवा अजीवकाओ अ समणधम्मो अ। खंताइ दसपगारो एव ठिए भावणा एसा // 1165 // ण करेइ मणेणाहारसन्नविप्पजढगो उ णियमेण / सोइंदियसंवुडो पुढविकायारंभ खंतिजुओ // 1166 // इय मद्दवाइजोगा पुढविक्काए हवंति दस भेआ। आउक्कायाईसु वि इअ एअंपिडिअंतु सयं // 1167 / / सोइंदिएण एअं सेसेहि विजं इमं तओ पंच। आहारसण्णजोगा इअ सेसाहिं सहस्सदुगं // 1168 // एवं मणेण वइमाइएमु एअं ति छस्सहस्साई / न करण सेसेहिं पि अ एए सव्वे वि अट्ठारा // 1169 // एत्थ इमं विण्णेअं अइअंपज्जं तु बुद्धिमंतेहिं / एक्कं पि सुपरिसुद्धं सीलंग सेससब्भावे . // 1170 // एक्को वाऽऽयपएसो संखेअपएससंगओ जह उ। एअंपि तहा णेअं सतत्तचाओ इहरहा उ // 1171 // जम्हा समग्गमेअंपि सव्वसावज्जजोगविरईओ। तत्तेणेगसरूवं ण खंडरूवत्तणमुवेइ // 1172 // एअंच एत्थ एवं विरईभावं पडुच्च दट्ठव्वं / ण उ बझं पि पवित्तिं जं सा भावं विणा वि भवे // 1173 // जह उस्सग्गम्मि ठिओ खित्तो उदगम्मि केण वि तवस्सी। . तव्वहपवित्तकाओ अचलिअभावोऽपवत्तो अ // 1174 / / एवं चिअ मज्झत्थो आणाई कत्थई पयट्टतो। सेहगिलाणादिऽट्ठा अपवत्तो चेव नायव्वो // 1175 // GE