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________________ जम्हा उ अभिस्संगो जीवं दूसेइ नियमओ चेव / तसिअस्स जोगो विसधारिअजोगतुल्लो त्ति // 1152 // जइणो अदूसिअस्सा हेआओ सव्वहा णिअत्तस्स / सुद्धो अ उवादेए अकलंको सव्वहा सो उ .. // 1153 // असुहतरंडुत्तरणप्पाओ दव्वत्थओऽसमत्थो अ। णइमाइसु इअरो पुण समत्तबाहुत्तरणकप्पो // 1154 // कडुगोसहाइजोगा मंथररोगसमसण्णिहो वा वि / पढमो विणोसहेणं तक्खयतुल्लो उ बीओ उ // 1155 // पढमाउ कुसलबंधो तस्स विवागेण सुगइमाईआ। तत्तो परंपराए बिइओ वि हु होइ कालेणं // 1156 // जिणबिंबपइट्ठावणभावज्जिअकम्मपरिणइवसेणं / सुगईअ पइट्ठावणमणहं सइ अप्पणो जम्हा // 1157 // तत्थ वि अ साहुदंसणभावन्जिअकम्मओ उ. गुणरागो। काले अ साहुदसण जहक्कमेणं गुणकरं तु // 1158 / / पडिबुज्झिस्संतऽण्णे भावज्जिअकम्मओ उ पडिवत्ती। भावचरणस्स जायइ एअं चिअ संजमो सुद्धो // 1159 / / भावत्थओ अ एसो थोअव्वोचिअपवित्तिओ णेओ। णिरवेक्खाणाकरणं कयकिच्चे हंदि उचिअंतु // 1160 // एअंच भावसाहू विहाय णऽण्णो चएइ काउं जे। सम्मं तग्गुणणाणाभावा तह कम्मदोसा य // 1161 // जं एअं अट्ठारससीलंगसहस्सपालणं णेअं। अच्चंत भावसारं ताइं पुण होंति एआई // 1162 // जोए करणे सण्णा इंदिअ भोमाइ समणधम्मे अ। / सीलंगसहस्साणं अट्ठारसगस्स णिप्फत्ती // 1163 //
SR No.004452
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages310
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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