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________________ पत्तिम्मि वि एते च्चिय नवरं विसेसोऽणिवारियं गहणं / आहारस्स तह च्चिय परिभोगेऽजीरगेलण्णं // 1020 // रयहरणम्मि पमज्जणदोसा कीडघरवुज्झ (छाय) णादीया / तेसिं चेव य अंडगवियोगमादी य विनेया . // 1021 // डंडग्गहणम्मि वि हथियारसावेक्खयादिया दोसा / ते पुण ण होंति एगंततो.परं चत्तगंथस्स // 1022 // किंच णियं चिय रूवं दट्ठणं तस्स होति संवेगो / पव्वइतोऽहमगंथो करेमि ता णिययकरणिज्जं // 1023 // तम्हा चइऊण घरं तं चेव पुणो अणिच्छमाणेणं / निग्गंथेणं जइणा होयव्वं निम्ममत्तेणं // 1024 // वाथमिह जायणाओ जइ मुच्चइ हंत एवं मोत्तव्यो। आहारो वि हु जइणा अजाइओ जं न होइ त्ति // 1025 // अह धम्मकायपरिवालणेण उवगारगो तओ दिट्ठो / वत्थं पि हु एवं चिय उवगारगमो मुणेतव्वं // 1026 // तणगहणअग्गिसेवणकायवहविवज्जणेण उवगारों / तदभावे य विणासो अणारिसो धम्मकायस्स // 1027 // जति वि ण विणस्सति च्चिय देहो झाणं तु नियमतो चलति / सीतादिपरिगयस्सिह तम्हा लयणं व तं गझं // 1028 // सुहझाणस्स उ नासे मरणं पि न सोहणं जिणा बेंति / अन्नाणिची (वी) रचरियं बालाणं विम्हयं कुणति // 1029 // अह उत्तमसंघयणे सुहझाणस्स वि न होइ णासो त्ति / . मोत्तूण तयमजुत्ता सेसेसुं हंत पव्वज्जा // 1030 // संमुच्छणा ण जायति पायं विहिसेवणाएँ वत्थम्मि। संभवमेत्तेणं पुण देहादीसुं पि सा दिट्ठा // 1031 // 81
SR No.004451
Book TitleShastra Sandesh Mala Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh Mala
Publication Year2005
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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