________________ भण्णइ विहिसिट्ठा जीविग त्ति जं भणियमेत्थ को णु विही ? / जइ ताव कोइ कत्ता स णिसिद्धो पुव्वमेव इह // 936 // अह पुवकयं कम्मं तस्सुदए जो उ होइ परिणामो / परवित्तहरणहे अपसत्थो वज्जणिज्जो सो. // 937 // अइसंकिलिट्ठकम्माणुवेदणे जो तु होइ परिणामो / सो संकिलिट्ठकम्मस्स कारणं जमिह पाएणं // 938 // तीरइ य अत्तवीरियपगरिसतो वज्जिउं तओ एवं / सति तम्मि तव्विवागं विचिंतिउं अप्पवित्तीए // 939 // कम्मोदएण मणपरिणामे जो संकिलिगुरूवे वि / संविग्गो वइकाए निरंभती सो विणासे वि // 940 // ते पुण ण अत्तवीरियपगरिसविरहेण थंभिउं सक्का / तम्मि य सति सुहभावा पायं अचिरेण तस्स खओ // 941 // वाणिज्जुचियकलाए तु णेवमपसत्थगो मुणेयव्वो / पायमणवज्जवित्ती निच्छयओ सो वि पडिसिद्धो // 942 // उचियादणत्थगं चिय धम्मादुचितत्तणेण तस्स त्ति / पडिसेहविहाणा इय इट्टेयरसिद्धिकलियाई // 943 // समणादीणं णो हरियव्वमियमिट्ठमेव अम्हाणं / / एत्तो च्चिय णाताओ न्सेसविहाणं तुहाणिटुं // 944 // तेसि पि जओ दुक्खं इतरेसि पि य ण होइ केसिंचि / न य नज्जइ भेदेणं जुत्तो ता सव्वपडिसिद्धो (सेहो) // 945 // नासिटुं इह नासइ एमादि जमुत्तमेयमवि मोहो / नाखुट्टम्मि मरिज्जइ हिंसाए तह वि जं दोसो . // 946 // किं चासिटुं नो लब्भइ त्ति देन्तस्स पावइ न किंचि / / इटुं च तत्थ पुत्रं तुझं मझं च तं किह णु ? // 947 / /