________________ भावाण तहाभावेण काणमादीसु जा गिरा तत्था / तेसिं दुक्खनिमित्तं सा वि अलिया विणिद्दिट्ठा // 924 // ता णेगंतसरूवा सव्वेसिमपरियावणी मधुरा / 'उवयोगपुव्वग च्चिय भासा भासण्णुणो सच्चा // 925 // केइ अदत्तादाणं विहिसिट्ठा जीविग ति मोहातो। . वाणिज्जुचियकलं पिव निद्दोमं चेव मन्नति // 926 // सेसकलारहिओ च्चिय साहसजुत्तो य पयइदक्खो य। . सत्तुक्कडोऽविसाई अदत्तादाणोचितो भणितो // 927 // समणाण माहणाणं दुक्खोवज्जितधणाण किवणाणं / इत्थीण य पंडगाण य णो हरियव्वं कदाचिदवि // 928 // सेसाण तु हरियव्वं परिगरविहववयकालमादीणि / णाउं णायपराणं जह दोण्ह वि होइ न विणासो // 929 // णासिटुं इह णासइ डज्झइ जलणेण जेण अहितं पि। लब्भइ न याणुवत्तं सिप्पमिव एत्थ वि अलाभो .. // 930 // इय वत्थुसहावं जाणिऊण सुमणो उ संपयट्टेज्जा। णय मरणा बीहेज्जा अन्नत्थ वि जं तयं तुल्लं // 931 // हरिए वि पुव्वगं चिय खंदादी देवए य वीरे य / संपूजिऊण विहिणा पच्छा पुज्जेज्ज तं रत्थं // 932 // लोग्गम्मि य परिवादं अकालचरियाविवज्जणादीहिं / जत्तेणं रक्खेज्जा तदभावे सव्वहा ण भयं // 933 // गहितो वि अमोक्खाए मरणंतं जीवियं विचितेज्जा / . कुज्जा य पुरिसगारं दोण्ह वि लोगाण फलहेउं // 934 // इय खंदरुद्दविहिणा पयट्टमाणस्स सुद्धभावस्स / वाणिज्जुचियकला विव निदोसा चोरिगा केई // 935 //