________________ नत्थित्ते चिय एवं चित्तादीणं अभावतो नियमा / आलोयणादभावे ण सिया पडिसेहगो वि धणी // 912 // ता अस्थि सरूवेणं पररूवेणं तु नत्थि सिय बुद्धी / जमिह सरूवत्थित्तं तं चिय पररूवणत्थित्तं // 913 // तत्तो य तस्सऽभेदे तेणं रहितं तयं तओ नियमा / पावइ पररूवं पि हु तम्मी तत्तो य तदभावो // 914 // भण्णइ अस्थित्तं चिय नत्थित्तं णणु विरुद्धमेयं ति / परिकप्पियं अह तयं इय इतरं सव्वरूवं तु // 915 // तस्सेव धम्मरूवे नियपररूवेहिं अस्थिणत्थित्ते / / भिन्नपवित्तिनिमित्ते तम्हा तत्तं अणेगंतो // 916 // नत्थि च्चिय खरसंगं एगंतो ते न बुद्धिधणिभावा / अहवा पररूवेणं नत्थि सरूवेण अत्थि त्ति // 917 // नत्थित्तत्थित्तेणं तदभावे तस्स पावती भावो / नत्थित्तत्थित्तं पुण विनेयमभावभावो उ // 918 // सम्मत्तनाणचरणा मोक्खपहो चेव एत्थ एगंतो। णो णामादिसरूवा जओ तओ इह वि नत्थि त्ति // 919 / / जे चेव भावरूवा ते चेव जहा तहा णु को दोसो ? / तस्सेव ण अन्नस्सा ते वि अणेगंतसिद्धीओ // 920 // एवं चिय जोएज्जा सिद्धाऽभव्वादिएसु सव्वेसु / सम्मं विभज्जवादं सव्वण्णुमयाणुसारेणं // 921 // एतं होहिति कल्लं नियमेण अहं च णं करिस्सामि / एमादी वि न वच्चं सच्चपइन्नेण जइणा उ // 922 // बहुविग्घो जियलोओ चित्ता कम्माण परिणती पावा / विहडइ दरजायं पि हु तम्हा सव्वत्थऽणेगंतो // 923 //