________________ // 816 // आभिणिबोहियनाणं सुयणाणं चेव ओहिणाणं च / तह मणपज्जवनाणं केवलनाणं च पंचमयं चंदो व्व होई जीवो पयतीए चंदिम व्व विनाणं / घणघणजालनिहं पुण आवरणं तस्स निद्दिटुं // 817 // तस्स य खओवसमओ नाणं सो उण जिणेहिं पन्नत्तो / कोई सहावतो च्चिय कोई पुण अहिगमगुणेहिं // 818 // एगिदियादियाणं आहेण सहावतो मुणेयव्वो / अहिगमतो तु पगिट्ठो सो उण पंचिंदियाणं तु // 819 // नाणस्स णाणिणं णाणसाहगाणं च भत्तिबहुमाणा।। आसेवणवुड्डादी अहिगमगुणमो मुणेयव्वो // 820 // सुहपरिणामत्तणओ किलिट्ठपरिणामसंचितमणंतं / एएहि भव्वसत्तो नियमेण खवेइ आवरणं // 821 // पवणदरवियलिएहि घणघणजालेहिं चंदिम व्व तओ। चंदस्स पसरइ भिसं जीवस्स तहाविहं नाणं // 822 // जमवग्गहादिरूवं पच्चुप्पन्नत्थंगाहगं लोए / इंदियमणोनिमित्तं तं आभिणिबोहिगं बेंति // 823 // जं पुण तिकालविसयं आगमगंथाणुसारि विन्नाणं / इंदियमणोनिमित्तं तं सुयनाणं जिणा बिति // 824 // ओहिनाणं भवजं खओवसमियं च होति नायव्वं / तेयाभासंतरदव्वसंभवं रूविविसयं तु // 825 // मणपज्जवनाणं पुण जणमणपरिचिंतितत्थपागडणं / माणुसखेत्तनिबद्धं गुणपच्चइयं चरित्तवतो // 826 // अहं सव्वदव्वपरिणामभावविन्नक्तिकारणमनंतं / सासयमप्पडिवाई एगविहं केवलं नाणं // 827 // SG