________________ // 744 // // 747 // // 748 // एतस्स एगपरिणामसंचियस्स तु ठिती समक्खाया। उक्कोसेतरभेदा तमहं वोच्छं समासेणं आदिल्लाणं तिण्हं चरिमस्स य तीस कोडिकोडीओ। अतराण मोहणिज्जस्स सत्तरी होति विनेया // 745 // नामस्स य गोत्तस्स य वीसं उक्कोसिया ठिती भणिया / तेतीस सागराइं परमा आउस्स बोद्धव्वा // 746 // वेदणियस्स उ बारस नामगोयाण अट्ठ तु मुहुत्ता / सेसाण जहन्नठिती भिन्नमुहत्तं विणिद्दिवा जीवस्स कम्मजोगो इति एसो दंसिओ समासेणं / एत्तो पुव्वुद्दिटुं वोच्छामि अहक्कम धम्म सम्मत्तनाणचरणा मोक्खपहो वनिओ जिणिदेहि / सो चेव भावधम्मो बुद्धिमता होति नायव्वो // 749 // संपत्ती य इमस्सा कम्मखयोवसमभावजोगातो। जह जायइ जीवस्सा वुच्छामि तहा. समासेणं // 750 // वन्नियकम्मस्स जया घसणघोलणनिमित्ततो कहवि / खवित्ता कोडाकोडी सव्वा एक्कं पमोत्तूणं // 751 / / तीय वि य थेवमेत्ते खविए तहिमंतरम्मि जीवस्स / भवति हु अभिन्नपुवो गंठी एवं जिणा बेंति // 752 // गंठि त्ति सुदुब्भेदो कक्खडघणरूढगूढगंठि व्व / जीवस्स कम्मजणितो घणरागद्दोसपरिणामो // 753 // भिन्नम्मि तम्मि लाभो जायइ परमपयहेतुणो नियमा / सम्मत्तस्स पुणो तं बंधेण न वोलइ कयाइ // 754 // तं जाविह संपत्ती ण जुज्जई. तस्स निग्गुणत्तणओ / . बहुतरबंधातो खलु सुत्तविरोधा जओ भणियं // 755 // ... 93