________________ बुद्धादिचित्तमेत्तं पडुच्च सिय तारिसं हवति नाणं / जं सद्दओऽवमन्नइ बज्झत्थासत्तमादीयं // 672 // एवमिह इमं सम्म मिच्छा इतरं तु होइ पडिवत्ती / बुज्झत्थाभावम्मि वि एवं सेसो वि ववहारो // 673 // तस्सावगमाभावे तस्सत्तामेत्तहेतुगो एस / इच्छिज्जइ ववहारो जति ता अत्थे वि तुल्लमिदं // 674 // अह कह वि तस्सवगमो तहेव अत्थम्मि मच्छरो को णु ? / सो नत्थि अजुत्तीओ नाणम्मि वि हंत तुल्लमिदं // 675 // जं गझगाहगोभयमणुभयरूवं व होज्ज विन्नाणं.? / जति गज्झरूवमो ता ण गाहगं अस्थि भुवणे वि // 676 // तदभावम्मि य कह गज्झरूवता अह सरूवगज्झाओ ? / नियरूवगाहगत्ते वि कहं णु तं गज्झरूवं तु ? // 677 // अह गाहगरूवं चिय इय (च्च) वि गज्झस्सऽभावतो णेयं / विवरीय सव्वं चिय जं भणितं गज्झपक्खम्मि // 678 // सिय तं उभयागारं विरोहभावा ण संगतमिदं पि / तेसि पि मिहो भेओऽभेदो उभयं व होज्जाहि ? // 679 // भेदे कहमेगं णणु उभयागारं णहेगवावित्तं / दोण्ह विरुद्धाण जतो दिटुं इटुं च समयम्मि // 680 // अह उ अभेदो ता एगभावतो चेव णोभयागारं / परिगप्पणम्मि एवं अतिप्पसंगो पमासिद्धो // 681 / / भेदाभेदौ (दो)य विरोधदोसतो समयकोवतो चेव / बज्झत्थावत्तीए सम्मं जुति न संसहइ // 682 // अह अणुभयरूवं चिय नत्थि तयं हंदि खरविसाणं व / एवं च ठिए संते नाणम्मि वि तुज्झ का जुत्ती ? // 683 // પ