________________ बज्झत्थाभावातो भत्ती एसा इमो तु देहो त्ति / विन्नाणमेत्तमेव उ परमत्थो कह णु अविगाणं? // 636 // बज्झत्थों परमाणू समुदायो अवयवी व होज्जाहि ? / गाहगपमाणविरहा सव्वो वि ण संगतो एस // 637 // परमाणवो ण इंदियगम्मा तग्गाहकं कुतो माणं ? / अविगाणाभावातो ण जोगिनाणं पि जुत्तिखमं . // 638 // केई पेच्छइ जोगी परमाणू सुन्नतं तहा अन्ने / एगप्पवायगहणे को णु पदोसो तु इतरंम्मि ? . // 639 // ते चेव कज्जगम्मा दीसति य घडाइयं इहं कज्जं / . ण य दुयणुमादिजोगं विहाय सत्ता इमस्स भवे // 640 // कह दीसति ति वच्चं ? जायइ संवेदणं तदागारं / / दोण्ह वि एगत्तं इय तस्साणागारभावो वा // 641 // सो खलु तस्सागारो भिन्नोऽभिन्नो व होज्ज ? जति भिन्नो। तस्स त्ति को णु जोगो ? इतरम्मि तु उभयदोसो त्ति // 642 // तदभिन्नागारत्ते दोण्ह वि एगत्तमो कहं ण. भवें ? / / नाणे व तदागारे तस्साणागारभावो त्ति // 643 // सिय तत्तुल्लागारं जं तं भणिमो अओ तदागारं / तग्गहणाभावे णणु तुल्लत्तं गम्मई कह णु ? // 644 // अह सागाराउ च्चिय तत्तुल्लो दीसती तु सो जेणं / तम्मत्ताणुहवणमो विहाय किं दंसणं अन्नं ? // 645 // तम्मि य वेदिज्जंते पडिवत्तीए कहं न अन्नस्स? / . जायइ अइप्पसंगो तुल्लत्ताओ तयमसिद्धं // 646 // तुल्लत्तं सामन्नं एगमणेगासितं अजुत्ततरं / तम्हा घडादिकज्जं दीसइ मोहाभिहाणमिदं // 647 // 54