________________ मुत्तेणामुत्तिमतो जीवस्स कहं हवेज्ज संबंधो ? / सोम्म ! घडस्स व णभसा जह वा दव्वस्स किरियाए // 624 // मुत्तेणामुत्तिमओ उवघाताणुग्गहा कहं होज्जा ? ज़ह विन्नाणादीणं मदिरापाणोसहादीहिं // 625 // अहवा णेगंतोऽयं संसारी सव्वहा अमुत्तो त्ति / जमणादिकम्मसंततिपरिणामावन्नरूवो सो // 626 // केई अमुत्तमेव तु कम्मं मन्नंति वासणारूवं / तं च न जुज्जइ तत्तो उवघायाणुग्गहाभावा // 627 // णागासं उवघायं अणुग्गहं वा वि कुणइ सत्ताणं / दिट्ठमिह देसभेदे सुहदुक्खं अन्नहेऊ तं // 628 // आणूगम्मिऽसमीरणपउरस्स सुहं विवज्जए दुक्खं / तं जलमादिनिमित्तं न सुद्धखेत्तुब्भवं चेव // 629 // तब्भावम्मि वि जोगो मुत्तिमता विग्गहेणं जीवस्स / अब्भुवगंतव्वो च्चिय कम्मम्मि वि एवं को दोसो ? // 630 // देहेणं संजोगाभावे उवघायमादिओ तस्स / अण्णस्स जह न दुक्खादि देहिणो वि तहा ण भवे // 631 // इय दिट्टेटविरोहो अणुहवगम्मा सुहादयो दिट्ठा / न य ते अन्ननिमित्ता तब्भावे चेव भावातो // 632 // जे वि य पसंतचित्तादिभावतो ते वि तक्या चेव / जं सुहमणादिजोगे अणुग्गहादी धुवा तस्स // 633 // तस्सेव य संपूयणवावत्तीओ सुहासुहनिमित्तं / इट्ठाओ अच्चंतं भेदे एतं पि हु न जुत्तं // 634 / / पडिमादिसु दिट्ठमिदं तं खलु अज्झत्थियं ति अविगाणं / जं पुण जंतुसरीरे उभयजमेत्थं पिमं चेव // 635 // 53