________________ कत्ता हु चेतणो जं हंदि हु ता पेरगो वि सो जुत्तो / इहरा य दिट्ठहाणी अदिट्ठपरिगप्पणा चेव // 588 // कम्मपरतंतओ चेव पेरणसामत्थविरहिओ एस। कम्मरहिओ य ईसो ता सो च्चिय पेरगो जुत्तो // 589 // पेरइ तओ किं फलमुद्दिस्स तयं ? न किंचि जइ एवं / फलरहियपवत्तीओ नालोच्चि(चि)यकारिता तस्स // 590 // अह फलमुद्दिस्स तयं धम्मादीणं हवेज्ज अन्नतरं / तस्सावेक्खत्तणओ जइवणिकामी व अकयत्थो // 591 // सिय तस्सेस सहावो फलनिरवेक्खो वि पेरणं कुणति / ' ण तु एसो मुत्तत्ता चिट्ठइ एमेव किं माणं ? // 592 // कम्मपरतंतओ जं पेरणसामत्थविरहितो कत्ता / एयमसिद्धं तस्स वि दिटुं जं करणसामत्थं // 593 // कत्ता वि अह पभु च्चिय विचित्तकरणम्मि रागमादीया / पेरगपगप्पणाए वि पुव्वुत्ता चेव दोसा उ . // 594 // पेरेति हिए एवं अन्नं इतरम्मि किं इमं जुत्तं ? | अह तक्कम्मकयमिणं तं पि य णणु तक्कयं चेव // 595 // .. इयरस्स उ कत्तित्ते सिद्धे सामत्थसत्तिसिद्धीओ / पहुकप्पणा अविसया भत्तीए नत्थि वाऽविसयो // 596 // लोगे वि एस भोत्ता सिद्धो पायं तहागमेसुं च / अविगाणपवित्तीओ ण य एतेसिं अपामन्नं // 597 / / इहरा कयवेफल्लं तब्भावे हंदि दिट्ठबाधा तु / वाणियकिसीबलादी दिट्ठा जं सकयभोइ त्ति // 598 // दंडिगगहमरणादो ण सगडभोइत्तणं अणेगंतो / आयासेणुवभोगा एगन्तो चेव नायव्वो // 599 //