________________ // 580 // इय तस्स अणादित्ते सिद्धे परिणामकरणजोएण / जीवो वि तस्स कत्ता सिद्धो च्चिय भवइ नायव्वो // 576 // परिणामविसेसेगं करेइ कम्मम्मि वीरियं चित्तं / जं सो ण उ तं सत्तामेत्तेणं होइ फलदं ति // 577 // सव्वेसिं फलभावा णियसहावा ण सव्वफलदत्तं / निययसहावत्तं चिय तग्गयपरिणामसावेक्खं // 578 // तस्स वि य अहेतुत्ते असंभवो चेव पावती नियमा / परिणामेतरकारणरहितं न य सव्वहा कज्जं // 579 / / तम्हा निमित्तकारणभूओ कत्त त्ति जुत्तिओ सिद्धो / जीवो सव्वन्नुवदेसओ य तह लोगओ चेव भोत्ता सकडफलस्स य अणुहवलोगागमप्पमाणातो। कतवेफल्लपसंगो पावइ इहरा स. चाणिट्ठो // 581 // सातासाताणुभवो तक्कारणभोगविरहओ ण सिया / मुत्तागासाण जहा अस्थि य सो तेण भोत्त त्ति // 582 // कम्मविवागातो चिय तदणुहवो जं तओ कहं भोत्ता ? / सो चेव तहापरिणतिरहियस्स ण संगतो जेण // 583 // जच्चिय विवागवेदणरूवा तप्परिणई हवति चित्ता / सच्चिय भोयणकिरिया नायव्वा होइ जीवस्स // 584 // न य तं तओ अणण्णं तस्सोदासीणभावओ चेव / चलणाइ कुणइ जम्हा वेदणकिरिया तओ सिद्धा // 585 // . बज्झसहकारिकारणसावेक्खा सा य पायसो जेणं / ता अंगणादिजोगे भोगपसिद्धी इहं लोगे // 586 // एतेणऽचेतणं जं कम्मं तं णियमितं कहं फलति / . ता पेरगो पहू किल परिहरियमिदं पि दट्ठव्वं // 587 // ४द