________________ इय नाणगहणपरिणामभावतो अत्तणो गहो जेण / .. सो चेव किन्न नाणं तुल्लम्मि तदनुभ(ब्भु)वगमम्मि ? // 492 // इय कत्तिकरणभावे कज्जं संवित्तिलक्खणं कत्थ ? / जति जीवे कहमन्नं नाणं तदभिन्नरूवं तु ? . // 493 // अह विसए णणु एवं कहमिह जीवस्स अणुहवो लोए ? / अह तत्तो च्चिय भेदे कहं ण अन्नस्स तदभेदा ? . // 494 // / तत्तो वि जइ तइ तम्मि हंत एवं पि सा णहि ण णाणं / तब्भावम्मि य चितं आता णाणाउ अन्नो त्ति // 495 // सिय कत्तिकरणभावो अभेदपक्खम्मि जुज्जई किह णु ? / वेढेइ अही अत्ताणमत्तणा चेव जह लोए // 496 // परिकप्पितो तु एसो अह णो तक्कज्जदरिसणातो उ। ण य सेलक्खंभादो वेढणमिह कप्पणाए वि // 497 // तम्हा तहाविहाणेगचित्तपरिणामभावतो सिद्धो। अणुहवपामन्ना कत्तिकरणभावो अभेदे वि . // 498 // अण्णे भणंति नाणं परलोगविबाहगं विगाणातों। न य निच्छयस्स हेऊ तम्हा अन्नाण मो सेयं . // 499 // अन्नेण अन्नहादेसियम्मि भावम्मि नाणगव्वेण / / कुणइ विवादं कलुसियचित्तो तत्तो य से बंधो // 500 // सव्वे वि मिहो भिन्नं नाणं इह नाणिणो जओ बेंति / / तीरइ न तओ काउं विणिच्छओ एयमेवं ति // 501 // तव्विसयदरिसणातो जुज्जइ एसो ण तं च पारोक्खे। . संवेदणमेत्तेण तु पडिपक्खनिसेहणमजुत्तं // 502 / / जं सव्वण्णुवदेसा जायइ अह तं मयं सुविनाणं / तब्भावे किं माणं बहुएसु य एस एव त्ति ? // 503 // 42