________________ देवागमादियं चेव विसेसलिंगं ण एत्थ वि पमाणं / साहारणं चं तंपि हु भावम्मि वि तदुवदेसम्मि // 504 // णाते वि तदुवदेसे एसेवत्थो मउ त्ति से कह णु ? / नज्जइ चित्तत्था खलु जं सद्दा समइयाणेगे // 505 // अह तत्तो सवणाओ आयरियपरंपरा इदाणि पि / / सवणे वि तव्विवक्खा णहि छउमत्थस्स पच्चक्खा // 506 // तदभावम्मि य नज्जइ कहमिदमेसो इम्मस्सऽभिप्पातो ? / तस्साणुवादकरणे मिलक्खुणातं फुडं चेव // 507 // मिलक्खू अमिलक्खुस्स, जहा वुत्ताणुभासए / ण हेउं से वियाणेइ, भासियं तऽणुभासइ // 508 // एवमन्नानिया णाणं, वदंता वि सयं सयं / निच्छयत्थं न याणंति, भिलक्खु व्व अबोधिए // 509 // जं चाकज्जायरणे पवत्तमाणस्स जायई तिव्वो / पारेणामो नाणिस्सा तत्तो बंधो वि तिव्वो त्ति // 510 // नाणी वि कुणइ पावं नृणं ता एयमेव सेयं ति / लोगस्स विपरिणामं जणयंतो बंधई कम्म // 511 // तम्हा परलोगसमुज्जयस्स भिक्खुस्स असढभावस्स / चरणोवघायगेणं नाणेण अलमसंगस्स. // 512 // नाणनिसेहणहेतू नाणं इतरं च (व) होज्ज ? जइ नाणं / अब्भुवगमम्मि तस्सा कहन्नु अन्नाणमो सेयं ? // 513 // अह अन्नाणं ण तयं णाणनिसेहणसमत्थमेवं पि / अप्पडिसेहातो च्चिय संसिद्धं नाणमेव त्ति // 514 // वादे वि कलुसभावो बंधनिमित्तमिह ण पुण णाणं ति / अन्नाणावगमेणं तं पुण कम्मक्खयनिमित्तं // 515 // 43