________________ किं एवं ति ? अह मती तत्तो च्चिय तस्स तस्स भावो उ। एसो चेव सहावो इमस्स णय किंचि वि पमाणं // 468 // अत्थकिरियाएँ भावो णहि सा उप्पत्तिमन्तरेणऽन्ना / सा य णिरन्नयपक्खे असंगताऽतिप्पसंगाओ // 469 // पाणाइवायविरईसिक्खावतदेसणामुहा एवं / . निव्विसयत्ता जणगो हिंसागारि त्ति पंडिच्चं ! . // 470 // . णहि सुयजम्मे पिउणो सिद्धं लोगम्मि हिंसगो एस। .. समए वि णा वि सिक्खावयभंगो तस्स जम्मम्मि // 471 // परिणामाओ हिंसा सो वि कहं खणिगपक्खवायम्मि ? / . परिणमणं परिणामो जम्हावत्थंतरावत्ती // 472 // निरहेउगो तओ अह निच्चं भावो णं वा कदाचिदवि / तस्सेवं पि हु सिक्खावतदेसणमणुववनं तु // 473 // इय परिणामंतक्खयदरिसणपमुहा वि हेयवो सव्वे / एगंतखणिगपक्खे अहेतवो चेव दट्ठव्वा // 474 // तम्हा परिणामी खलु जीवो लोगप्पमाणओ सिद्धो / अधुणा जहेस णाता तह सुत्तादेसतो वोच्छं // 475 // णाता संवित्तीओ जीवो नहि नाणभिन्नरूवाणं / सा अस्थि घडादीणं तकज्जाऽदरिसणाउ त्ति // 476 // तेसिं न तेण जोगो अन्नगुणत्तातो तेण सा नत्थि / अविसिटे अन्नत्ते एतं पि य किंकयं एत्थ ? // 477 // अह उ सहावकतं चिय पतिणियता चेव जं गुणा लोए / एसो वि हु अनिमित्तो सहावपक्खो सपडिवक्खो // 478 // एगंतेण विभिन्नं नाणं आयाउ तग्गुणो तह वि। / एत्तो च्चिय णनगुणों तहासहावातो किं माणं ? // 479 // 40