________________ जो उप्पन्नो णियहेतुभावतो दिस्सती तहाभावो / तस्स वियप्पाभावो जलणस्सुण्हत्तणं किह णु ? // 456 // उप्पत्तीऍऽविगाणं कह एसा जुज्जइ त्ति चिन्तमिदं / भणियविगप्पेहि य सव्वहेव एसा अजुत्ता तु // 457 // दीसइ य णासहेऊवणिवायाओ य तस्स नासो वि। तम्हा जाइवियप्पा जह एते एव ते वि त्ति // 458 // अविणट्ठस्स विणासे वियप्पणाऽसंगता विणट्ठस्स / किं तीऍ फलं ? एत्थ वि तुल्लमिदं जातिभेददुगं // 459 // अह उप्पत्ती दीसइ णतु णासो तस्सभावतो ण तओ / एगंतेणाभावो घडा कवालादिभावाओ // 460 // ण य एगंतेण तओ अन्नो निरुवक्ख एव सो तत्तो / भावा सहावभेदे भेदाभेदादिया दोसा // 461 // दीवम्मि को णु भावो सुक्के व सरम्मि आतवादिसु य / तमदव्वादिपरिणती छायाई चेव विनेया.. // 462 // किं तेण ततो कीरइ ? इट्ठमिदं सिद्धसाहणं एवं / णो इत (इतर) णिवित्तिअंतरेण जं तेण एत्थं पि // 463 // सा वि हु तदुब्भव च्चिय तब्भावे भावतो जहुप्पत्ती / ण य एगंताभावो सा नया वत्थुधम्मत्ता // 464 // अह सा ण वत्थुधम्मो ण तई ता तस्स घडणिवित्तीए / / जह वत्तमाणसमए सगडस्स निवित्ति सुन्नं वा // 465 // ण य सा उप्पत्ति च्चिय भिन्ननिमित्तत्ततो विरोधातो / परिकप्पिय त्ति निच्चं अन्नत्ते पुव्वदोसा उ // 466 // अह उ सहेउउ च्चिय उववन्नो अप्पणो विणासम्मि / नोवेक्खई तदनं हेउं निरहेउगो तेण // 467 // . 36