________________ // 950 // // 951 // // 952 // // 953 // // 954 // // 955 // अह भूरिमयविरोहा पमाणया नो महानिसीहस्स / लोइय सत्थाणं पि व तहाहि तम्मी अणुचियाई सत्तमनरयगमाईणि इत्थियाणं पि वन्नियाई ति / तं न लिहणाइ दोसा संति विरोहा सुए वि जओ आभिणिबोहिनाणे अट्ठावीसं हवंति पयडीओ। आवस्सयम्मि वुत्तं इममनह कप्पभासम्मि नाणमवाय धीईओ दंसण सिटुं च उग्गहेहाओ / एवं कह न विरोहो विवरीयत्तेण भणणाओ किं च गइ. इंदियाइसु दारेसु न सम्म-सासणं इटुं। इगिदीणं विगलाण मइसुए तं चणुन्नायं सयगे पुण विगलाणं एगिंदीणं च सासणं इटुं / न पुणो मइसुयनाणे तहेवमावस्सए वुत्तं सीहो तिविट्ठजीवो जाओ सत्तम महीउ उव्वट्टो / जीवाभिगममएणं मीणत्तं चेव तो लहइ . नायासु पुव्वण्हे दिक्खा नाणं च भणियमवरण्हे / आवस्सयम्मि नाणं बीयम्मि मल्लिस्स छउमत्थे परिआओ संद्धछम्मासबारससमाओ। मग्गसिरकिण्हदसमी दिक्खाए वीरनाहस्स वइसाहसुद्धदसमी केवललाभम्मि संभविज कहं / इय सत्थेसुं बहवो दीसंति परोप्परविरोहा तस्संभवे वि आवस्सयाइ सत्थाई जह पमाणं / तह कि महानिसीहं घिप्पइ न पमाणबुद्धीए अहो पंचनमोक्काराइयाणमुवहाणमणुचियं भिन्नं / आक्स्सयस्स अंतो पाढाहि तहाहि सामइयं // 956 // // 957 // / // 958 // // 959 // // 960 // // 961 // 285.