________________ खणिगो चेगसहावो स कहं वेदेइ दो वि सुहदुक्खे ? / वेदगभेदम्मि य सव्वलोगववहारवोच्छेदो // 228 // सुहितो स एव दुहितो पुणो वि तस्साहणत्थमुज्जमइ / / पावेइ किल स एव तु सुमरइ य मए कयं एतं // 229 // वेदेइ य पुवकयं कम्मं इह अज्जियं च अण्णत्थ / परमपदसाहणत्थं कुणइ .पयासं च उवउत्तो मेत्तादिसुगुणपगरिसमब्भासातो य पावए कोइ। एमादिलोगसिद्धो णणु ववहारो कहं तत्थ ? // 231 // अन्नो वेदेइ सुहं अण्णो दुक्खं पवत्तए अण्णो / . पावेति वेदती सुमरती य पत्तेयमन्नो तु // 232 // अन्नो करेइ कम्मं फलमन्नो भुंजती तु मोक्खत्थं / कुणइ पयासं अन्नो पावेति य तं पिं अण्णो तु // 233 // अच्चंतभेदतो इय सव्वो वि ण संगतो ततो सम्म / मोत्तूण दिट्ठिरागं. आलोएज्जा बुहो एतं (वं) .. // 234 // संताणातो अह सो ववहारो सव्व एव जुत्तो तु / सो संताणीहितो अन्नोऽणनो त्ति वत्तव्वं // 235 // जइ अन्नो किं णिच्चो किंवा खणियो त्ति ? णिच्चपक्खम्मि / होइ पतिन्नाहाणी इतरम्मि उ पुव्वदोसा तु // 236 // अह संताणो णेओ ज इह विसिट्ठो उ हेउफलभावो / / तत्तो सो ववहारो णो णाणत्ताविसेसातो // 237 // अवहिखणातो संताणंतरवत्ती जहा खणो भिन्नो। . कज्जक्खणो वि एवं तत्तो को वा विसेसो तु ? // 238 / / अस्थि विसेसो हेतुफलभावतो विरहओ य तस्सेव / एगंतखणियपक्खे णियमेण ततो वि हु ण जुत्तो // 239 // 20.