________________ एवं च संकिलिट्ठा माइट्ठाणम्मि णिच्चतल्लिच्छा / आजीवियभयगत्था मूढा णो साहुणो णेया // 845 // संविग्गा गुरुविणया णाणी दंतिंदिया जियकसाया / भवविरहे उज्जुत्ता जहारिहं साहुणो होति // 846 // // 18 // भिक्षुप्रतिमापञ्चाशकम् // णमिऊण वद्धमाणं भिक्खूपडिमाण लेसओ किं पि / वोच्छं सुत्ताएसा भव्वहियट्ठाएँ पयडत्थं , // 847 // . बारस भिक्खूपडिमा ओहेणं जिणवरेहिं पण्णत्ता / सुहभावजुया काया मासाईया जओ भणियं // 848 // मासाई सत्तंता पढमाबिइतइयसत्तराइदिणा / अहराइ एगराई भिक्खूपडिमाण बारसगं , // 849 // पडिवज्जइ एयाओ संघयणधिइजुओ महासत्तो / पडिमाओ भावियप्पा सम्मं गुरुणा अणुण्णाओ // 850 // गच्छे च्चिय णिम्माओ जा पुव्वा दस भवे असंपुण्णा / णवमस्स तइयवत्थू होइ जहण्णो सुयाहिगमो // 851 // . वोसट्टचत्तदेहो उवसग्गसहो जहेव जिणकप्पी।। एसण अभिग्गहीया भत्तं च अलेवडं तस्स // 852 / / गच्छा विणिक्खमित्ता पडिवज्जइ मासियं महापडिमं / दत्तेग भोयणस्स पाणस्स वि एग जा मासं (मासं जा)॥ 853 // आइमज्झवसाणे छग्गोयहिंडगो इमो णेओ / जाएगरायवासी एगं च दुगं च अण्णाए // 854 // जायणपुच्छाणुण्णावणपुट्ठवागरणभासगो चेव / . . आगमणवियडगिहरुक्खमूलगावासयतिगो त्ति // 855 // 206