________________ पुढवीकट्ठजहत्थिण्णसारसाई ण अग्गिणो बीहे / कट्ठाइ पायलग्गं णवणेइ तहच्छिकणुगं वा // 856 // जत्थत्थमेइ सूरो न तओ ठाणा पयं पि संचरइ / पायाइ ण पक्खा (खा) लइ एसो वियडोदगेणावि // 857 / / दुट्ठस्सहत्थिमाई तओ भएणं पयं पि णोसरई / एमाइणियमसेवी विहरइ जाऽखंडिओ मासो // 858 // पच्छा गच्छमईई एवं दुम्मासि (एव दुमासी तिमासि) जा सत्त / णवरं दत्तिविवड्ढी जा सत्त उ सत्तमासीए // 859 // तत्तो य अट्ठमी खलु हवइ इहं पढमसत्तराइंदी। तीए चउत्थ चउत्थेणऽपाणएणं अह विसेसो // 860 // उत्ताणग पासल्ली णेसज्जी वा वि ठाणगं ठाउं / . सहउवसग्गे घोरे दिव्वाई तत्थ अविकंपो // 861 // दोच्चा वि एरिस च्चिय बहिया गामाइयाण णवरं तु / उक्कडलंगडसाई दंडाययओ व्व ठाऊणं . // 862 // तच्चावि एरिस च्चिय णवरं ठाणं तु तस्स गोदोही / वीरासणमहवा वि हु ठाएज्जा अंबखुज्जो उ // 863 // एमेव अहोराई छटुं भत्तं अपाणगं णवरं / गामणगराण बाहि वाघारियपाणिए ठाणं . // 864 // एमेव एगराई अट्ठमभत्तेण ठाण बाहिरओ / इसीपब्भारगओ अणिमिसणयणेगदिट्ठीए (ओ) // 865 // साहट्ट दो वि पाए वाघारियपाणि ठायइ ट्ठाणं / वाघरिलंबियभुओ अंते य इमीएँ लद्धि त्ति // 866 // आह ण पडिमाकप्पे सम्मं गुरुलाघवाइचिंत त्ति / गच्छाउ विणिक्खमणाइ ण खलु उवगारगं जेण // 867 // 270