________________ चाउम्मासुक्कोसो सत्तरि राइंदिया जहण्णो उ। थेराण जिणाणं पुण णियमा उक्कोसओ चेव // 833 / / दोसासइ मज्झिमगा अच्छंती (ति) उ जाव पुव्वकोडी वि / इहरा उ ण मासं पि हु एवं खु विदेह जिणकप्पे // 834 // एवं कप्पविभागो तइओसहणा तओ मुणेयव्वो / भावत्थजुओ एत्थ उ सव्वत्थ वि कारणं एयं // 835 // पुरिमाणं दुव्विसोज्झो चरिमाणं दुरणुपालओ कप्पो / मज्झिमगाण जिणाणं सुविसोझो सुहणुपालो य // 836 // उज्जुजडा पुरिमा खलु णडादिणायाउ होति विण्णेया / वक्कजडा उण चरिमा उजुपण्णा मज्झिमा भणिया // 837 // कालसहावाउ च्चिय एए एवंविहा उ पाएण / होति अओ उ जिणेहिं एएसि इमा कया मेरा . // 838 // एवंविहाण वि इहं चरणं दिटुं तिलोगणाहेहिं / जोगाण थिरो भावो जम्हा एएसि सुद्धो उ // 839 // अथिरो उ होइ इयरो सहकारिवसेण ण उण तं हणइ / जलणा जायइ उण्हं वज्जं ण उ चयइ तत्तं पि // 840 // इय चरणम्मि ठियाणं होइ अणाभोगभावओ खलणा / ण उ तिव्वसंकिलेसा अवैति चारित्तभावो वि // 841 // चरिमाण वि तह णेयं संजलणकसायसंगमं चेव / मांइट्ठाणं पायं असई पि हु कालदोसेणं // 842 // इहरा उ ण समणत्तं असुद्धभावाउ हंदि विण्णेयं / लिंगम्मि वि भावेणं सुत्तविरोहा जओ भणियं // 843 // सव्वे वि य अइयारा संजलणाणं तु उदयओ होति / मूलच्छेज्जं पुण होइ बारसण्हं कसायाणं // 844 //