________________ ता गीयम्मि इमं खलु तदण्णलाभंतरायविसयं तु (ति) / सुत्तं अवगंतव्वं णिउणेहिं तंतजुत्तीए // 527 // जं जह सुत्ते भणियं तहेव जइ तं वियालणा णस्थि / किं कालियाणुओगो दिट्ठो दिट्ठिप्पहाणेहिं // 528 // गुरुगुणरहिओ वि इहं दट्ठव्वो मूलगुणविउत्तो जो / ण उ गुणमेत्तविहीणो त्ति चंडरुद्दो उदाहरणं // 521 // जे इह होंति सुपुरिसा कयण्णुया ण खलु ते वमन्नंति / कल्लाणभायणत्तेण गुरुजणं उभयलोगहियं // 530 // जे उ तह. विवज्जत्था सम्मं गुरुलाघवं अयाणंता / सग्गाहा किरियरया पवयणखिसावहा खुद्दा // 531 // पायं अहिण्णगंठीतमाउ तह दुक्करं पि कुव्वंता / / बज्झा व ण ते साहू धंखाहरणेण विण्णेया // 532 // तेसिं बहुमाणेणं उम्मग्गणुमोयणा अणिट्ठफला / तम्हा तित्थगराणाठिएसु जुत्तोऽत्थ बहुमाणो // 533 // ते पुण समिया गुत्ता पियदढधम्मा जिइंदियकसाया / गंभीरा धीमंता पण्णवणिज्जा महासत्ता // 534 // उस्सग्गववायाणं वियाणगा सेवगा जहासत्तिं / / भावविसुद्धिसमेता आणारुतिणो य सम्मं ति // 535 // सव्वत्थ अपडिबद्धा मेत्तादिगुणण्णियाय णियमेण / सत्ताइसु होंति दढं इय आगयमत्त (आययमग्ग) तल्लिच्छा / / 536 / / * एवंविहा उ णेया सव्वणयमतेण समयणीतीए / भावेण भाविएहिं सइ चरणगुणट्ठिया साहू // 537 // णाणम्मि दंसणम्मि य सति णियमा चरणमेत्थ समयम्मि / परिसुद्धं विण्णेयं णयमयभेया जओ भणियं // 538 // 249