________________ णिच्छयणयस्स चरणायविघाए णाणदंसणवहो वि / ववहारस्स उ चरणे हयम्मि भयणा उ सेसाणं . // 539 // जो जहवायं ण कुणति मिच्छदिट्ठी तओं हु को अण्णो ? / : वड्डेइ य मिच्छत्तं परस्स संकं जणेमाणो // 540 // एवं च अहिनिवेसा चरणविघाए ण णाणमादीया / तप्पडिसिद्धासेवणमोहासद्दहणभावेहि // 541 // अणभिनिवेसाओ पुण विवज्जया होंति तविघाओ वि / तक्कज्जुवलंभाओ पच्छातावाइभावेण , // 542 // तम्हा जहोइयगुणो आलयसुद्धाइलिंगपरिसुद्धो। पंकयणातादिजुओ विण्णेओ भावसाहु त्ति // 543 // एसो पुण संविग्गो संवेगं सेसयाण जणयंतो / कुग्गहविरहेण लहुं पावइ मोक्खं सयासोक्खं // 544 // // 12 // साधुसमाचारीपञ्चाशकम् // नमिऊण महावीरं सामायारी जतीण वोच्छामि / संखेवओ महत्थं दसविहमिच्छादिभेदेणं / // 545 // इच्छामिच्छातहक्कारो आवस्सिया य णिसीहिया / / आपुच्छणा य पडिपुच्छा छंदणा य णिमंतणा // 546 // उपसंपया य काले सामायारी भवे दसविहा उ / एएसि तु पयाणं पत्तेयपरूवणा एसा // 547 // अब्भत्थणाइ करणे व कारवणेणं तु दोण्ह वि उचिए। इच्छक्कारो कत्थइ गुरुआणा चेव य ठिति ति // 548 // सइ सामत्थे एसो णो कायव्वो विणाऽहियं कज्जं / अब्भत्थिएण वि विहा एवं खु जइत्तणं सुद्धं . // 549 // ૨પ૦