________________ अग्गीयस्स इमं कह ? गुरुकुलवासाओ, कह तओ गीओ ? / गीयाणाकरणाओ, कहमेयं, णाणतो चेव // 503 // चारित्तओ च्चिय दढं मग्गणुसारी इमो हवइ पायं / एत्तो हिते पवत्तति तह णाणातो सदंधो व्व // 504 // अंधो गंधो व्व सदा तस्साणाए तहेव लंघेइ / भीमं पि हु कंतारं भवकंतारं इय अगीतो // 505 // आणारुइणो चरणं आणाए च्चिय इमं ति वयणाओ / एत्तो णाभोगम्मि वि पण्णवणिज्जो इमो होइ // 506 // एसा य परा आणा पयडा जं गुरुकुलं ण मोत्तव्वं / आचारपढमसुत्ते एत्तो च्चिय दंसियं एयं // 507 // एयम्मि परिच्चत्ते आणा खलु भगवतो परिचत्ता / तीए य परिच्चागे दोण्ह वि लोगाण चाउ त्ति // 508 // ता न चरणपरिणामे एयं असमंजसं इहं होति / आसण्णसिद्धियाणं जीवाण तहा य भणियमिणं // 509 // णाणस्स होइ भागी थिरयरओ दंसणे चरित्ते य / धण्णा आवकहाए गुरुकुलवासं न मुंचंति // 510 // तत्थ पुण संठिताणं आणाआराहणा ससत्तीए / अविगलमेयं जायति बज्झाभावे वि भावेणं // 511 // कुलवहुणायादीया एत्तो च्चिय एत्थ दंसिया बहुगा / एत्थेव संठियाणं खंतादीणं पि सिद्धि त्ति // 512 // खंती य मद्दवज्जव मुत्ति तव संजमे य बोधव्वे / सच्चं सोयं आकिंचणं च बंभं च जतिधम्मो // 513 // गुरुकुलवासच्चाए णेयाणं हंदि सुपरिसुद्धि त्ति / सम्मं णिरूवियव्वं एवं सति णिउणबुद्धीए // 514 // धाए 247