________________ ममकारे वोच्छिण्णे वच्चति सण्णायपल्लि दटुं जे / तत्थ वि जहेव साहू गेण्हति फासुं तु आहारं // 480 // पुव्वाउत्तं कप्पति पच्छाउत्तं तु ण खलु एयस्स / ओदणभिलिंगसूवादि सव्वमाहारजायं तु // 481 // एवं उक्कोसेणं एक्कारस मास जाव विहरेइ / एगाहादियरेणं एयं सव्वत्थ पाएणं // 482 // भावेऊणऽत्ताणं उवेइ पव्वज्जमेव सो पच्छा / अहवा गिहत्थभावं उचियत्तं अप्पणो णाउं // 483 / / गहणं पवज्जाए जओ अजोगाण णियमतो णत्थो / तो तुलिऊणऽप्पाणं धीरा एवं पवज्जंति // 484 / / तुलणा इमेण विहिणा एतीए हंदि नियमतो णे (मविण्णे) या / णो देसविरइकंडयपत्तीएँ विणा जमेस त्ति // 485 // तीए य अविगलाए बज्झा चेट्ठा जहोदिया पायं / होति णवरं विसेसा कज्जति लक्खिज्जए ण तहा // 486 // भवणिव्वेयाउ जतो मोक्खे रागाउ णाणपुव्वाओ / सुद्धासयस्स एसा ओहेण वि वणिया समए // 487 // तो समणो जइ सुमणो भावेण य जइ ण होइ पावमणो / सयणे य जणे य समो समो य माणावमाणेसु // 488 // ता कम्मखओवसमा जो एयगारमंतरेणाविं / जायति जहोइयगुणो तस्स वि एसा तहा णेया // 489 // एत्तो च्चिय पुच्छादिसु हंदि विसुद्धस्स सति पयत्तेणं / दायव्वा गीतेणं भणियमिणं सव्वदंसीहि // 490 // . तह तम्मि तम्मि जोए सुत्तुवओगपरिसुद्धभावेण / / दरदिण्णाए वि जओ पडिसेहो वण्णिओ एत्थ // 491 // 245