________________ पाणे आउक्कायं सचित्तरससंजुअं तहण्णं पि / पंचुबरिकक्कडिगाइयं च तह खाइमे सव् // 468 // दंतवणं तंबोलं हरेडगादी य साइमे सेसं / सेसपयसमाउत्तो जा मासा सत्त विहिपुव्वं // 469 // वज्जइ सयमारंभं सावज्ज कारवेइ. पेसेहि। . पुव्वप्पओगओ च्चिय वित्तिणिमित्तं सिढिलभावो // 470 // निग्घिणतेगंतेणं एवं वि हु होइ चेव परिचत्ता / / एद्दहमेत्तो वि इमो वज्जिज्जंतो हियकरों उ // 471 // भव्वस्साणावीरियसंफासणभावतो णिओगेणं / पुव्वोइयगुणजुत्तो ता वज्जति अट्ठ जा मासा // 472 // पेसेहि वि आरंभं सावज्ज कारवेइ णो गुरुयं / अत्थी संतुट्ठो वा एसो पुण होति विण्णेओ . // 473 // निक्खित्तभरा पायं पुत्तादिसु अहव सेसपरिवारे / थेवममत्तो य तहा .सव्वत्थ वि परिणओ नवरं ... // 474 // लोगववहारविरओ बहुसो संवेगभावियमई य / पुव्वोदियगुणजुत्तो णव मासा जाव विहिणा उ // 475 // उद्दिटुकडं भत्तं पि वज्जती किमय सेसमारंभं ? / सो होइ उ खुरमुंडो सिहलिं वा धारती कोई // 476 // जं णिहियमत्थजायं पुट्ठो णियएहिं णवर सो तत्थ / जइ जाणइ तो साहे अह ण वि तो बेइ ण वि जाणे॥ 477 // जतिपज्जुवासणपरो सुहुमपयत्थेसु णिच्चतल्लिच्छो / पुव्वोदियगुणजुत्तो दस मासा कालमासे (णे) णं // 478 // खुरमुंडो लोएण व रयहरणं उग्गहं व घेत्तूण / समणब्भूओ विहरइ धम्मं कारण फासंतो // 479 // 244