________________ अम्हे उ तह अधण्णा धण्णा उण एत्तिएण जं तेसि / बहु मण्णामो चरियं सुहावहं धम्मपुरिसाणं // 421 // इय बहुमाणा तेसिं गुणाणमणुमोयणा णिओगेणं / तत्तो तत्तुल्लं चिय होइ फलं आसयविसेसा // 422 // कयमेत्थ पसंगेणं तवोवहाणादिया वि णियसमए / अणुरूवं कायव्वा जिणाण कल्लाणदियहेसु // 423 // पंच महाकल्लाणा सव्वेसि जिणाण हवंति णियमेण / भुवणच्छेरयभूया कल्लाणफला य जीवाणं , - // 424 // गब्भे जम्मे य तहा णिक्खमणे चेव णाणणेव्वाणे / भुवणगुरूण जिणाणं कल्लाणा होति णायव्वा // 425 // तेसु य दिणेसु धन्ना देविदाई करिति भत्तिणया / जिणजत्तादिविहाणा कल्लाणं अप्पणो चेवः // 426 // इय ते दिणा पसत्था ता सेसेहिं पि तेसु कायव्वं / जिणजत्तादि सहरिसं ते य इमे वद्धमाणस्स // 427 // आसाढसुद्धछट्ठी चेत्ते तह सुद्धतेरसी चेव। . मग्गसिरकिण्हदसमी वइसाहे सुद्धदसमी य // 428 // कत्तियकिण्हे चरिमा गब्भाइदिणा जहक्कम एते / हत्थुत्तरजोएणं चउरो तह सातिणा चरमो. // 429 // . अहिगयतित्थविहाया भगवं ति णिदंसिया इमे तस्स / सेसाण वि एवं चिय णियणियतित्थेसु विण्णेया // 430 / / तित्थगरे बहुमाणो अब्भासो तह य जीयकप्पस्स / देविंदादिअणुगिती गंभीरपरूवणा लोए // 431 // वण्णो य पवयणस्सा इय जत्ताए जिणाण णियमेणं / . मग्गाणुसारिभावो जायइ एत्तो च्चिय विसुद्धो // 432 / / 240