________________ पवरा पभावणा इह असेसभावम्मि तीऍ सब्भावा / जणजत्ता य तयंगं जं पवरं ता पयासो यं // 397 // जत्ता महसवो खलु उद्दिस्स जिणे स कीरइ जो उ। सो जिणजत्ता भण्णइ तीऍ विहाणं तु दाणाइ // 398 // दाणं तवोवहाणं सरीरसक्कार मो जहासत्ति / उचितं च गीतवाइय थुतिथोता पेच्छणादी य // 399 // दाणं अणुकंपाए दीणाणाहाण सत्तिओ णेयं / तित्थंकरणातेणं साहूण य पत्तबुद्धीए // 400 // एकासणाइ णियमा तवोवहाणं पि एत्थ कायव्वं / . तत्तो भावविसुद्धी णियमा विहिसेवणा चेव // 401 // वत्थविलेवणमल्लादिएहि विविहो सरीरसक्कारो। कायव्वो जहसत्तिं पवरो देविंदणाएण // 402 // उचियमिय (ह) गीयवाइयमुचियाणं वयाइएहिं जं रम्मं / जिणगुणविसयं सद्धम्मबुद्धिजणगं अणुवहासं . // 403 // थुइथोत्ता पुण उचिया गंभीरपयत्थविरइया जे उ। संवेगवुड्डिजणगा समा य पाएण सव्वेसिं // 404 // पेच्छणगा वि णडादी धम्मियणाडयजुआ इहं उचिया / पत्थावो पुण णेओ इमेसिमारंभमादीओ // 405 // आरंभे च्चिय दाणं दीणादीण मणतुट्ठिजणणत्थं / रण्णामघायकारणमणहं गुरुणा ससत्तीए // 406 // विसयपवेसे रण्णो उ दंसणं ओग्गहादिकहणा य / . अणुजाणावण विहिणा तयणुण्णाए य संवासो // 407 // एसा पवयणणीती एव वसंताण णिज्जरा विउला / इहलोयम्मि वि दोसा ण होंति णियमा गुणा होति // 408 // 238