________________ तप्पूयापरिणामो हंदि महाविसयमो मुणेयव्यो / तद्देसपूयणम्मि वि देवयपूयादिणाएण // 386 // आसन्नसिद्धियाणं लिंगमिणं जिणवरेहिं पण्णत्तं / संघम्मि चेव पूया सामण्णेणं गुणणिहिम्मि // 387 // एसा उ महादाणं एस च्चिय होति भावजण्णो त्ति / एसा गिहत्थसारो एस च्चिय संपयामूलं // 388 // एतीए फलं णेयं परमं णेव्वाणमेव णियमेण / सुरणरसुहाई अणुसंगियाइं इह किसिपलालं व // 389 // कयमेत्थ पसंगेणं उत्तरकालोचियं इहण्णं पि / अणुरूवं कायव्वं तित्थुण्णतिकारगं णियमा // 390 // उचिओ जणोवयारो विसेसओ णवरि सयणवग्गम्मि। साहम्मियवग्गम्मि य एयं खलु परमवच्छल्लं // 391 // अट्ठाहिया य महिमा सम्मं अणुबंधसाहिगा केई / अण्णे उ तिण्णि दियहे 'णिओगओ चेव. कायव्वो // 392 // तत्तो विसेसपूयापुव्वं विहिणा पडिस्सरोमुयणं / भूयबलिदीणदाणं एत्थं पि ससत्तिओ किं पि // 393 // तत्तो पडिदिणपूयाविहाणओ तह तहेह कायव्वं / / विहिताणुट्ठाणं खलु भवविरहफलं जा होति // 394 // ... // 9 // यात्राविधिपञ्चाशकम् // नमिऊण वद्धमाणं सम्मं संखेवओ पवक्खामि / जिणजस्ताइ विहाणं सिद्धिफलं सुत्तणीईए // 295 // दंसणमिह मोक्खंगं परमं एयस्स अट्ठहायारो / णिस्संकादी भणितो पभावणंतो जिणिदेहि // 396 // 237