________________ चित्तबलिचित्तगंधेहिं चित्तकुसुमेहिं चित्तवासेहिं / चित्तेहिं विऊहेहिं भावेहिं विहवसारेण // 374 // एयमिह मूलमंगल एत्तो चिय उत्तरा वि सक्कारा / ता एयम्मि पयत्तो कायव्यो बुद्धिमंतेहिं // 375 // चितिवंदण थुतिवुड्डी उस्सग्गो साहु सासणसुराए / . थयसरण पूयकाले ठवणा मंगल्लपुव्वा उ // 376 // पूया वंदणमुस्सग्ग पारणा भावथेज्जकरणं च / .. सिद्धाचलदीवसमुद्दमंगलाणं च पाढो उ // 377 // : जह सिद्धाण पतिट्ठा तिलोगचूडामणिम्मि सिद्धिपदे / ... आचंदसूरियं तह होउ इमा सुप्पति? त्ति // 378 / / एवं अचलादीसु वि मेरुप्पमुहेसु होति वत्तव्वं / एते मंगलसद्दा तम्मि सुहनिबंधणा दिट्ठां // 379 / / सोउं मंगलसदं सउणम्मि जहा उ इट्ठसिद्धि त्ति / एत्थं पि तहा संमं विण्णेया बुद्धिमंतेहिं . // 380 // अण्णे उ पुण्णकलसादिठावणे उदहिमंगलादीणि / जंपंतण्णे सव्वत्थ भावतो जिणवरा चेव // 381 // सत्तीए संघपूजा विसेसपूजाउ बहुगुणा एसा / / जं एस सुए भणिओ तित्थयराणंतरो संघो // 382 // गुणसमुदाओ संघो पवयण तित्थं ति होंति एगट्ठा / तित्थगरो वि य एणं णमए गुरुभावतो चेव // 383 // तप्पुब्विया अरिहया पूजितपूया य विणयकम्मं च / . कयकिच्चो वि जह कहं कहेति णमते तहा तित्थं // 384 // एयम्मि पूजियम्मी णत्थि तयं जं ण पूजियं होइ / / भुअणे वि पूयणिज्जं ण गुणट्ठाणं ततो अण्णं / // 385 // 236