________________ दिसिदेवयाण पूया सव्वेसिं तह य लोगपालाणं / ओसरणकमेणऽण्णे सव्वेसिं चेव देवाणं // 362 // जमहिगयबिंबसामी सव्वेसिं चेव अब्भुदयहेऊ / ता तस्स पइट्ठाए तेसिं पूयादि अविरुद्धं // 363 // साहम्मिया य एए महिड्डिया सम्मदिट्ठिणो जेण / एत्तो च्चिय उचियं खलु एतेसिं एत्थ पूजादी // 364 // तत्तो सुहजोएणं सट्ठाणे मंगलेहिं ठवणा उ / अहिवासणमुचिएण गंधोदगमादिणा एत्थ // 365 // चत्तारि पुण्णकलसा पहाणमुद्दाविचित्तकुसुमजुया / सुहपुण्णचत्तचउतंतुगोच्छया होंति पासेसु // 366 // मंगलदीवा य तहा घयगुलपुण्णा सुभिक्खुभक्खा य / / जववारयवण्णयसत्थिगादि सव्वं महारंभं // 367 // मंगलपडिसरणाइं चित्ताई रिद्धिविद्धिजुत्ताइ / . पढमदियहम्मि चंदणविलेवणं चेव गंधड़े . . // 368 // चउणारीओमिणणं णियमा अहिगासु णत्थि उ विरोहो / णेवत्थं च इमासिं जं पवरं तं इहं सेयं // 369 // जं एयवइयरेणं सरीरसंक्कारसंगयं चारु / कीरइ तयं असेसं पुण्णणिमित्तं मुणेयव्वं // 370 // तित्थगरे बहुमाणा आणाआराहणा कुसलजोगा। अणुबंधसुद्धिभावा रागादीणं अभावा य . // 371 // दिक्खियजिणोमिणणओ दाणाओ सत्तितो तहेयम्मि / वेहव्वं दारिदं च होंति ण कयाति नारीणं // 372 // उक्कोसिया य पूजा पहाणदव्वेहिं एत्थ कायव्वा / ओसहिफलवत्थसुवण्णमुत्तारयणाइएहिं च // 373 // रावं 235