________________ ता तं पि अणुमयं चिय अप्पडिसेहाओ तंतजुतीए / इय सेसाण वि एत्थं अणुमोयणमादि अविरुद्धं // 280 // जं च चउद्धा भणिओ विणओ उवयारिओ उ जो तत्थ / सो तित्थगरे णियमा ण होइ दव्वत्थयादण्णो // 281 // एयस्य उ संपाडणहेउं तह चेव वंदणाए उ। . पूजणमादुच्चारणमुववण्णं होइ, जइणो वि // 282 / / इहरा अणत्थगं तं ण य तयणुच्चारणेण सा भणिता। ता अहिसंधारण मो संपाडणमिट्ठमेयस्स . // 283 / / सक्खा उ कसिणसंयमदव्वाभावेहिं (वो य) णो अयं इट्ठो / .. गम्मइ तंतठितीए भावपहाणा हि मुणउ त्ति // 284 // एएहितो अण्णे जे धम्महिगारिणो हु तेसिं तु.। सक्खं चिय विण्णेओ भावंगतया जतो भणितं // 285 // अकसिणपवत्तयाणं विरयाविरयाण एस खलु जुत्तो। संसारपयणुकरणे दव्वत्थए कूवदिऎतो. // 286 // सो खलु पुष्पाईओ तत्थुत्तो न जिणभवणमाई वि। आईसद्दा वुत्तो तयभावे कस्स पुष्फाई ? // 287 / / णणु तत्थेव य मुणिणो पुप्फाइनिवारणं फुडं अस्थि / अत्थि तयं सयकरणं पडुच्च नऽणुमोयणाई वि // 288 // सुव्वइ य वइररिसिणा कारवणं पि हु अणुट्ठियमिमस्स / वायगगंथेसु तहा एयगया देसणा चेव // 289 // दव्वत्थओ वि एवं आणापरतंतभावलेसेण / समणुगउ च्चिय णेओ हिगारिणो सुपरिसुद्धो त्ति // 290 / / लोगे सलाहणिज्जो विसेसजोगाउ उण्णइणिमित्तं / जो सासणस्स जायइ सो णेओ सुपरिसुद्धो त्ति // 291 // 228