________________ ता भावत्थयहेऊ जो सो दव्वत्थओ इहं इट्ठो। जो उण णेवंभूओ स अप्पहाणो परं होति // 256 // अप्पाहण्णे वि इहं कत्थइ दिट्ठो उ दव्वसद्दो त्ति / अंगारमद्दगो जह दव्वायरिओ सयाऽभव्वो . // 257 // अप्पाहण्णा एवं इमस्स दव्वत्थवत्तमविरुद्धं / आणाबज्झत्तणओ न-होइ मोक्खंगया णवरं // 258 // भोगादिफलविसेसो उ अस्थि एत्तो वि विसयभेदेण / तुच्छो उ तगो जम्हा हवति पगारंतरेणाविं // 259 // उचियाणुट्ठाणाओ विचित्तजंइजोगतुल्लमो एस। जं ता कह दव्वत्थओ तद्दारेणप्पभावाओ // 260 // जिणभवणादिविहाणारेणं एस होति सुहजोगो / उचियाणुट्ठाणं पि य तुच्छो जइजोगतो णवरं // 261 // सव्वत्थ निरभिसंगत्तणेण जइजोगमो महं होइ / एसो उ अभिस्संगा. कत्थइ तुच्छे वि तुच्छो उ . // 262 // जम्हा उ अभिस्संगो जीवं दूसेइ णियमतो चेव / तद्रूसियस्स जोगो विसघारियजोगतुल्लो त्ति // 263 // जइणो अदूसियस्सा हेयाओ सव्वहा णियत्तस्स / सुद्धो उ उवादेए अकलंको सव्वहा सो उ // 264 // असुहतरंडुत्तरणप्पाओ दव्वत्थओऽसमत्तो य / णदिमादिसु इयरो पुण समत्तबाहुत्तरणकप्पो // 265 // कडुगोसहादिजोगा मंथररोगसमसण्णिहो वा वि। . पढमो विणोसहेणं तक्खयतुल्लो व बितिओ उ // 266 // पढमाओ कुसलबंधो तस्स विवागेण सुगइमादीया / तत्तो परंपराए बितिओ वि हु होइ कालेणं // 267 // 206