________________ सयपालणा य एत्थं गहियम्मि वि ता इमम्मि अन्नेसि / दाणे उवएसम्मि य ण होंति दोसा जहऽण्णत्थ // 233 // कयपच्चक्खाणो वि य आयरियगिलाणबालवुड्डाणं / देज्जासणाइ संते लाभे कयवीरियायारो // 234 // संविग्गअन्नसंभोइयाण दंसेज्ज सड्डगकुलाणि / अतरंतो वा संभोइयाण जह वा समाहीए // 235 / / एवमिह सावगाण वि दाणुवएसाइ उचियमो णेयं / सेसम्मि वि एस विही तुच्छस्स दिसादवेक्खाए // 236 // संतेअरलद्धिजुएअराइभावेसु होइ तुल्लेसु / . . दाणं दिसाइभेए तीएदितस्स आणादी // 237 // भोत्तूणमुचियजोगं अणवरयं जो करेइ अव्वहिओ। णियभूमिगाइ सरिसं. एत्थं अणुबंधभावविही // 238 / / गुरुआएसेणं वा जोगंतरगं पि तदहिगं तमिह / गुरुआणाभंगम्मि य सव्वे णत्था जओ भणितं ... // 239 // छट्टट्ठमदसमदुवालसेहिं मासद्धमासखमणेहिं / . अकरितो गुरुवयणं अणंतसंसारिओ होति // 240 // बज्झाभावे वि इमं पच्चक्खंतस्स गुणकरं चेव / आसवनिरोहभावा आणाआराहणाओ य // 241 // न य एत्थं एगंतो सगडाहरणादि एत्थ दिटुंतो / संतं पि णासइ लहुँ होइ असंतं पि एमेव // 242 // ओहेणाविसयं पि हु ण होइ एयं कहिंचि णियमेण / . मिच्छासंसज्जियकम्मओ तहा सव्वभोगाओ // 243 // विरईए संवेगा तक्खयओ भोगविगमभावेण / सफलं सव्वत्थ इमं भवविरहं इच्छमाणस्स // 244 // 224