________________ ण य सामाइयमेयं बाहइ भेयगहणे (ग्गहे) वि सव्वत्थ / समभावपवित्तिणिवित्तिभावओ ठाणगमणं व // 209 / / सामइए आगारा महल्लतरगे वि णेह पण्णत्ता / भणिया अप्पतरे वि हु णवकाराइम्मि तुच्छमिणं // 210 // समभावे च्चिय तं जं जायइ सव्वत्थ आवकहियं च / ता तत्थ ण आगारा पण्णत्ता किमिह तुच्छं ति // 211 / तं खलु णिरभिस्संगं समयाए सव्वभावविसयं तु / कालावहिम्मि वि परं भंगभया णावहित्तेणं // 212 / / मरणजयज्झवसियसुहडभावतुल्लमिह हीणणाएणं / / अववायाण ण विसओ भावेयव्वं पयत्तेणं // 213 // एत्तो च्चिय पडिसेहो दढं अजोग्गाण वण्णिओ समए / एयस्स पाइणो वि हु बीयंति विही य अइसइणा // 214 / / तस्स उ पवेसणिग्गमवारणजोगेसु जह उ अववाया / मूलाबाहाएँ तहा णवकाराइम्मि आगारा // 215 // ण य तस्स तेसु वि तहा णिरभिस्संगो उ होइ परिणामो / पडियारलिंगसिद्धो उ णियमओ अण्णहारूवो // 216 // ण य पढमभाववाघाय मो उ एवं पि अवि य तस्सिद्धी / एवं चिय होइ दढं इहरा वामोहपायं तु // 217 // उभयाभावे वि कुतो वि अग्गओ हंदि एरिसो चेव / तक्काले तब्भावो चित्तखओवसमओ णेओ // 218 // आहारजाइओ एस एत्थ एक्को वि होंति चउभेओ। . असणाइ जाइभेया णाणाइपसिद्धिओ णेओ // 219 // णाणं सद्दहणं गहण पालणा विरतिवुड्डि चेव त्ति / होइ इहरा उ मोहा विवज्जओ भणियभावाणं // 220 / 22