________________ सो वि ण एगंतेणं इहऽणुभूयाभिलासपुव्वो तु / जमणादौ संसारे तं णत्थि जतं ण अणुभूतं // 156 // इय पढमं विनाणं विन्नाणंतरसमुब्भवं णेयं / विन्नाणत्तातो च्चिय जुवविन्नाणं व बालस्स // 157 / / चित्तो कम्मसहावो भणिओ तत्तो य लाभहरणादी / सिद्ध त्ति अस्थि जीवो तम्हा परलोगगामी तु // 158 // जम्हा ण कित्तिमो सो तम्हाऽणादीत्थ कित्तिमत्ते य (उ) / वत्तव्वं जेण कतो सो किं जीवो अजीवी त्ति ? // 159 // जइ जीवो जेण कतो सो अनेणं ति एवमणवत्था / . . चरमो अकित्तिमो अह सव्वेसु तु मच्छरो को णु ? // 160 // जो सो अकित्तिमो सो रागादिजुतो हवेज्ज रहितो वा ? / रहियस्स सेसकरणे पओयणं किंति वत्तव्वं // 161 // तेसिं चेवुप्पत्ती किं च सहावो य तस्स एसो उ। अपरायत्ततणओ कुणइ विचित्ते तओ सत्ते // 162 // तेसिं उप्पत्तीए को तस्सऽत्थो त्ति ? सेव उ ण जुत्ता / कुंभारादीण जओ ण घडादुप्पत्तिरेवत्थो // 163 // सिय कुंभारादीया अणिट्ठियट्ठि त्ति णिट्ठियट्ठो य / सो इय ण जुज्जई से उप्पत्ति काउ सत्ताणं // 164 // एसो य सहावो से किमेत्थ माणं ? न सुंदरो य जतो / तक्करणकिलेसस्स तु महतो अफलस्स हेउ त्ति // 165 // अपरायत्तो य कहं ? जो कुणइ किलेसमेत्तियं जम्हा / . अण्णो वि परायत्तो किलेसकारी तु लोगम्मि // 166 / / अह न किलेसो ति मती सत्तामेत्तेण कारओ जम्हा / / तब्भवणतुल्लकाला सत्ता सव्वे वि सिद्धमिणं // 167 // 14