________________ एवं च अणादित्तं सव्वेसिं चेव हंदि सत्ताणं / तस्सत्ताणादिमती जं णो चे कित्तिमो सो वि // 168 / / अह सत्तामेत्तेणेव कारओ किंतु ण समकालं त्ति / / पच्छा वि परिमियद्धाए होइ तस्सादिमत्तं तु // 169 // अपरिमितद्धाए वि य सहावभेदम्मि तस्स णिच्चत्तं / पुव्वं व अकरणं पच्छतो वि तेसिं अभेदम्मि // 170 // एसो चेव सहावो से णंतद्धाए कुणइऽतीयाए / एगसहावत्ते सइ करणं वाऽणिच्चया भेदे // 171 // तेसिं चेव सहावो जं तस्सत्तामवेक्ख होन्ति तया / जायाण पुणोऽभवणाऽजुत्तोऽजायाण तु विरुद्धो // 172 // मज्झत्थो य किमत्थं चित्ते इस्सरियमादिभेदेणं ? / सत्ते कुणति ति सिया कीडत्थमसंगया सा वि // 173 / / जं रागादिविजुत्तों सा नु सरागरस दीसती सो वि। रागादिजुत्तो त्ति मती ‘ण सेसकत्तः तदन्नो व्व // 174 // जमकित्तिमो ण अन्नो तेण ण कत्त त्ति तुल्ल एवेह / रागादिदोसभावे णेयं पि विसेसणं जुत्तं // 175 // ण हि तुलम्मि दियत्ते वेदज्झयणगुणसंपउत्ताणं / केसाणप्पबहुत्तं दाणाम्मि विसेसणं होति // 176 / / रागादिदोसवसगो बंधति कम्मं किलिटुंमच्चत्थं / तप्पच्चयं तयं पुण वेदेंतो सेसतुल्लो उ // 17 // अह णो बंधइ एवं ण संति रागादतो त्ति से पत्तं / संतेसु वि य अबंधे किं बंधो होति सेसाणं? // 178 // एसो चेव सहावो संतेसु वि तस्स जेण णो बंधो / होयनेसि ण य इह पज्जणुओंगो सहावस्स // 179 // . 15