________________ ण विवज्जयम्मि ति फलं लोगविरोहा पतीतिबाधातो / थेवसुहिदंसणातो तह जिणचंदागमातो य // 144 // किरिया ण कत्तिरहिता सिद्धो जीवो त्ति ता इहं कत्ता / एवं. धम्मियणायं विनेयं वयणमेत्तं तु // 145 // जाईसरणं च इहं दीसइ केसिंचि अवितहं लोए / पुव्वभवटवियसेवियसंवादातो अणेगभवं // 145 // अह तम्मि कि पमाणं ? णणु सो चिय अप्पतारगे किंति ? / बालस्स वि भावातो संवादो भावतो तस्स // 147 // अह उ जहिच्छाहेतू सो संवादो त्ति किं न इतरो वि? ण य जातिस्सरवयणे इहं पसिद्धो विसंवादो // 148 // अह अम्हेहिं ण दिट्ठो कोई जाइस्सरो ति तो णत्थि / एवं पपियामहस्स वि अच्चंतं पावइ अभावो // 149 // तदभावम्मि अगवो पितामहस्सावि तहय पितुणो वि / / तदभावे भवतो वि य पडिसेहोऽसंगतो तम्हा // 150 // अह कज्जातो भावो पितामहादीणमेवमेवेहं / किं जाइस्सरकज्जं ण पसिद्धं देवकुलमादी ? . // 151 // बालकताणुस्सरणं तिव्वखओवसमभावजुत्तस्स / जह कस्सइ वुड्डस्स वि जाइस्सरणं तहा कि ण? // 152 // इय संभवाणुमाणा सिद्धमिणं जं च भूतवतिरित्तं / साहियमिह चेयण्णं भूयसभावं तिं तोऽजुत्तं // 153 // जो बालथणभिलासो पेढमो अहिलासपुव्वगो सो वि। अहिलासत्ता जूणो जह विलयाहारअहिलासो // 154 // विलयाहारभिलासो इह अणुभूयाभिलासपुव्वो तु / / सो वि सिया एवं चिय णो पढमत्तप्पकोवाओ // 155 // . 13