________________ एत्तो च्चिय ण णियाणं पणिहाणं बोहिपत्थणासरिसं / सुहभावहेउभाषा णेयं इहरापवित्ती उ // 174 // एवं तु इट्ठसिद्धी दव्वपवित्तीउ अण्णहा णियमा / . तम्हा अविरुद्धमिणं णेयमवत्थंतरे उचिए // 175 // तं पुण संविग्गेणं उवओगजुएण तिव्वसद्धाए / सिरणमियकरयलंजलि इय कायव्वं पयत्तेणं // 176 // जय वीयराय ! जयगुरू होउ ममं तुह पभावओ भयवं / भवणिव्वेओ मग्गाणुसारिया इट्ठफलसिद्धी // 177 // लोयविरुद्धच्चाओ गुरुजणपूआ परत्थकरणं च / सुहगुरुजोगो तव्वयणसेवणा आभवमखंडा // 178 // उचियं च इमं णेयं तस्साभावम्मि तप्फलस्सण्णे / अपमत्तसंजयाणं आराऽणभिसंगओ. ण परे // 179 // मोक्खंगपत्थणा इय ण णियाणं तदुचियस्स विण्णेयं / सुत्ताणुमइत्तो जह बोहीए पत्थणा माणं . // 180 // एवं च दसाईसुं तित्थयरम्मि वि. णियाणपडिसेहो / जुत्तो भवपडिबद्धं साभिस्संगं तयं जेण // 181 // जं पुण णिरभिस्संगं धम्मा एसो अणेगसत्तहिओ। . णिरुवमसुहसंजणओ अपुवचिंतामणीकप्पो // 182 // ता एयाणुट्ठाणं हियमणुवहयं पहाणभावस्स। तम्मि पवित्तिसरूवं अत्थापत्तीऍ तमदुर्दु // 183 // कयमित्थ पसंगेण पूजा एवं जिणाण कायव्वा / लक्षूण माणुसत्तं परिसुद्धा सुत्तनीतीए // 184 // पूजाए कायवहो पडिकुट्ठो सो य णेव पुज्जाणं / उवगारिणि त्ति तो सा परिसुद्धा कह णु होइ ति // 185 // 210